Badri Cow: ये हैं वो 20 पाइंट जिन पर बद्री गायों के दूध का रखा जाएगा रिकॉर्ड, पढ़ें डिटेल 

Badri Cow: ये हैं वो 20 पाइंट जिन पर बद्री गायों के दूध का रखा जाएगा रिकॉर्ड, पढ़ें डिटेल 

बद्री गाय हर रोज डेढ़ से दो लीटर तक दूध देती है. इसके दूध में ए2 होता है. वहीं प्रोटीन की मात्रा भी खूब होती है. इस गाय के दूध को दवाई भी माना जाता है. इसी को देखते हुए बद्री गाय की नस्ल सुधार और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए उत्तराखंड में एक खास प्रोजेक्ट शुरू किया गया है.

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Badri Cow: ये हैं वो 20 पाइंट जिन पर बद्री गायों के दूध का रखा जाएगा रिकॉर्ड, पढ़ें डिटेल क्या है बद्री नस्ल की खासियत

उत्तराखंड में एक खास प्रोजेक्ट के तहत बद्री गायों के दूध उत्पादन को बढ़ाने और नस्ल सुधार का काम चल रहा है. 2026 तक बद्री गायों का रोजाना का दूध उत्पादन नापा जाएगा. इसी रिकॉर्ड के आधार पर रिसर्च होगी. बद्री गायों की नस्ल सुधारने और दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए इस रिसर्च की मदद ली जाएगी. दूध का रिकॉर्ड रखने के लिए 20 पाइंट की एक गाइड लाइन भी बनाई गई है. इसी के आधार पर चार जिलों की तीन हजार से ज्यादा बद्री गायों के दूध का रिकॉर्ड रखा जा रहा है. 

राष्ट्रीय गोकुल मिशन के तहत ये प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. उत्तराखंड कोआपरेटिव डेरी फेडरेशन (यूसीडीएफ) भारत सरकार इस प्रोजेक्ट में मदद कर रहा है. उत्तराखंड के चार जिलों नैनीताल, चंपावत, अल्मोड़ा और पिथौरागढ़ में ये खास प्रोजेक्ट चलाया जा रहा है. यहां 45 मिल्क रिकार्डिंग सेंटर खोले जाएंगे. सभी बद्री गायों की जियो टैगिंग होगी, जिसका डाटा सीधे भारत सरकार को भेजा जाएगा. चारों जिले की 3240 बद्री गायों पर रिसर्च की जा रही है. 

ऐसे रखा जा रहा है बद्री गायों के दूध का रिकॉर्ड

  • मिल्क रिर्काडिंग का काम ऐसी बद्री गायों पर किया जा रहा है जिनका पूर्व ब्यांत में दूध उत्पादन 3.5 लीटर प्रतिदिन से ज्यादा हो.
  • मिल्क रिर्काडर के लिए ऐसे युवाओं का चयन किया गया है जो स्थानीय, शिक्षित, बेरोजगार हैं. गांवों की भौगोलिक स्थिति के अनुसार मिल्क रिकार्डर्स की संख्या का निर्धारण किया गया है. 
  • चुने गए गांवों में बद्री गायों की पहचान 12 डिजिट के यूनिक आईडेटिफिकेशन टैग से की जा रही है. पशुपालक और पशु का पंजीकरण इनाफ साफ्टवेयर पर किया जायेगा.
  • एक मिल्क रिकार्डर द्वारा एक दिन में पांच से ज्यादा बद्री गायों की मिल्क रिर्काडिंग नहीं की जा रही है. 
  • मिल्क रिर्काडिंग के लिए चुनी गईं बद्री गाय के ब्याने के पांचवें दिन से 25वें दिन के अन्दर पहली मिल्क रिर्काडिंग का कार्य शुरू किया गया है. उससे ज्यादा वक्त के ब्याय हुए पशुओं में मिल्क रिकार्डिंग का कार्य नहीं किया जा रहा है.
  • गाय की मिल्क रिर्कोडिंग हर महीने एक तय तारीख को सुबह और शाम को हो रही है. यह हर महीने की तय तारीख को दूध दुहान की जगह पर हो रही है. 
  • हर महीने एक-एक मिल्क रिर्काडिंग (सुबह-शाम) की जा रही है. दुग्ध रिकार्डिंग, नियत रिर्काडिंग की तिथि से पांच दिन पूर्व या पांच दिन बाद भी की जा रही है. 
  • हर एक गाय की कम से कम 16 रिर्काडिंग (सुबह-शाम) और अधिकतम 20 रिकार्डिंग (सुबह-शाम) की जा रही हैं. 
  • परियोजना के तहत 20 रिकार्डिंग (सुबह-शाम) या पशु के दूध सूखने तक मिल्क रिर्काडिंग की जा रही है.
  • मिल्क रिर्कोडर को मिल्क रिकार्डिंग का शेड्यूल तैयार कर समय पर उपलब्ध कराया जा रहा है. जिसमें पशु का विवरण, रिकार्डिंग का विवरण, पशुपालक का पता, गांव का नाम, मिल्क रिर्काडिंग की तारीख और समय होगा.

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