ऊंटनी का दूध कई गंभीर बीमारियों में दवाई की तरह काम करता है. पाली, राजस्थान से ऊंटनी का दूध लेकर स्पेशल ट्रेन देश के अलग-अलग इलाकों में पहुंचाती है. विदेशों में ऊंटनी के दूध की बहुत डिमांड है. ऊंटनी का दूध डायबिटीज, टीबी और ऑटिज्म जैसी बीमारी में बहुत फायदा पहुंचाता है. भारत में भी ऊंटनी के दूध को लेकर बहुत काम हो रहा है. सरकार भी इसमे खासी मदद कर रही है. इसके पीछे एक बड़ी वजह ये कि ऊंटों की संख्या घट रही है. ऊंटों की घटती संख्या को रोकने के लिए ही सरकार ऊंटनी के दूध कारोबार को बढ़ावा दे रही है.
ऊंटनी के दूध से पनीर, आइसक्रीम समेत दूसरे पदार्थ बनाए जा रहे हैं. ऊंटनी के दूध से कौन-कौनसे पदार्थ और कैसे बनाए जा सकते हैं इसकी भी ट्रेनिंग बीकानेर में दी जाती है. साथ ही पदार्थ बनाने की टेक्नोलॉजी भी मामूली फीस के साथ दी जाती है. लेकिन ऊंटनी के दूध को लेकर कई तरह की अफवाहें भी हैं. ये अफवाहें कितनी सच और झूठ हैं इस बारे में ऊंट रिसर्च सेंटर की ओर से दिए गए कुछ सवालों के जवाब हम इस खबर में दे रहे हैं.
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प्रश्न- क्या ऊंटनी का दूध नमकीन होता है?
उत्तर- हाँ, दूध थोड़ा नमकीन होता है. लेकिन इसका स्वाद ऐसा है कि इसे बड़े ही आराम से पिया जा सकता है. दूध में नमकीन स्वाद रेगिस्तान में ऊंट द्वारा खाए जाने वाले पौधों से आ जाता है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध की सेल्फ लाइफ कम होती है?
उत्तर- ऊंट के दूध को भी अन्य दूध की तुलना में कमरे के तापमान पर लम्बे वक्त तक रखा जा सकता है. साइंटिस्ट का कहना है कि ऊंट के ताजे दूध को 30°C पर 8 घंटे तक रखा जा सकता है, पाश्चुरीकृत ऊंट के दूध को 4ºC पर 10 दिनों से अधिक समय तक रखा जा सकता है. और जब दूध में लैक्टोपेरोक्सिडेस सिस्टम सक्रिय होता है, तो ताजा दूध को 30ºC पर लगभग 20 घंटे तक रखा जा सकता है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी का दूध अन्य दूध की तुलना में गाढ़ा होता है?
उत्तर- ऊंट का दूध गाय, भैंस, भेड़, बकरी, याक आदि के दूध की तुलना में पतला और कम चिपचिपा होता है, लेकिन जब दूध को हिलाया जाता है, तो यह झागदार हो जाता है और गाढ़ा दिखाई देता है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी का दूध पीने से दस्त हो जाते हैं?
उत्तर- ऊंटनी का दूध पीने से दस्त नहीं होते हैं, लेकिन यह कुछ हद तक मल त्याग में मदद करता है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध से दही नहीं बनाया जा सकता, नहीं तो क्यों?
उत्तर- ऊंटनी के दूध से दही बनाने के दौरान ऊंटनी के दूध में फॉर्मेंटेशन होता है. इसके चलते अन्य दूध की तुलना में इस बनने में ज्यादा वक्त लगता है. अन्य दूध से मिलने वाले दही की बनावट ऊंटनी के दूध में नहीं आती है. इसके पीछे कई वजह हो सकती हैं. जैसे कि ऊंटनी के दूध में के-कैसिइन की बहुत कम मात्रा, प्रोटीन अणुओं के साथ वसा का घनिष्ठ बंधन और नमक की उच्च मात्रा हो सकती है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध में फैट की मात्रा ज्यादा होती है?
उत्तर- ऊंटनी के दूध में फैट की फीसद 1.5 से 3.5 के बीच होता है, जो मवेशियों और भैंसों के दूध से कम है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध में अन्य दूध की तुलना में इंसुलिन की मात्रा ज्यादा होती है?
उत्तर- ऊंटनी के दूध में इंसुलिन की मात्रा ज्यादा होती है (करीब 40 µIU/ml).
प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध से प्रोडक्ट बनाए जा सकते हैं या नहीं?
उत्तर- ऊंट रिसर्च सेंटर द्वारा विभिन्न डेयरी प्रोडक्ट तैयार किए जा रहे हैं जैसे- चाय, कॉफी, फ्लेवर्ड मिल्क, फॉर्मेंट दूध, पाश्चुरीकृत दूध, कुल्फी, पनीर, मावा, गुलाब जामुन, बर्फी, रसगुल्ला, पेड़ा और दूध पाउडर आदि.
प्रश्न- क्या मनुष्यों में कुछ बीमारियों को ठीक करने के लिए बिना पाश्चुरीकृत ऊंटनी का दूध पीना जरूरी है?
उत्तर- जैसा कि हम जानते हैं कि प्रोसेसिंग की वजह से हर एक फूड आइटम अपने कुछ पोषक तत्व खो देता है और प्रोटीन समेत अन्य तत्वों का भी विकृतीकरण हो जाता है. इसलिए इसके कार्यात्मक मूल्य में कमी आ सकती है. क्योंकि दूध उत्पादन, हैंडलिंग और परिवहन के दौरान विभिन्न रोगाणुओं का कैरियर होता है, इसलिए हम कभी भी बिना पाश्चुरीकृत दूध के सेवन का सुझाव नहीं देते हैं.
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प्रश्न- क्या ऊंटनी के दूध में इंसानों को फायदा पहुंचाने वाली मेडिशन वैल्यू है?
उत्तर- शोधकर्ताओं का कहना है कि ऊंटनी के दूध में इंसुलिन की उच्च मात्रा के कारण, इसका सेवन मनुष्यों में टाइप-1 डायबिटीज के प्रबंधन में प्रभावी भूमिका निभाता है. यह इंसानों में विभिन्न प्रकार के तपेदिक रोगों के स्वास्थ्य प्रबंधन में भी कारगर बताया गया है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी का दूध गोजातीय दूध से एलर्जी वाले बच्चों के लिए सुरक्षित है?
उत्तर- हां, ऊंटनी के दूध की प्रोटीन संरचना मानव दूध के बहुत करीब है और यह बच्चों में एलर्जी पैदा नहीं करती है.
प्रश्न- क्या ऊंटनी का दूध लैक्टोज इनटॉलरेंस वाले लोगों के लिए सुरक्षित है?
उत्तर- हां, ऊंटनी के दूध के सेवन से इंसानों में लैक्टोज इनटॉलरेंस की रिपोर्ट नहीं की गई है.
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