मछली पालन में मुनाफा मुछलियों के वजन के हिसाब से तय होता है. मछली का जितना वजन होगा उतना ही ज्यादा मुनाफा होगा. फिशरीज एक्सपर्ट की मानें तो मछलियों का वजन बढ़ाना कोई मुश्किरल काम नहीं है, जरूरत है बस कुछ उपायों को अपनाया जाए. हालांकि सभी तरह की मछलियों की बढ़वार (ग्रोथ) का वक्त तय होता है. लेकिन ये भी तभी मुमकिन है जब मछलियों को तालाब में पानी, फीड समय पर और मानकों के मुताबिक मिले. इतना ही नहीं मानकों के मुताबिक ही तालाब की साफ-सफाई हो.
मछलियों को तालाब में रहने के लिए जरूरत की जगह मिल जाए. एक्सपर्ट का कहना है कि अगर ऐसी ही छोटी-छोटी चीजों का ख्याल न रखा जाए तो इसके चलते मछलियों की ग्रोथ तो रुकती ही है, साथ में मछलियों की मौत तक होने लगती है. इसलिए जरूरी है कि मछली का बीज डालने से पहले तालाब से जलीय खर-पतवार को बाहर निकाल दिया जाए.
फिशरीज एक्सपर्ट के मुताबिक तालाब से गैर जरूरी मछलियों को बाहर कर देना चाहिए. इसका तरीका ये है कि जाल चलाकर इन्हें बाहर किया जाए या फिर तालाब को सुखाया भी जा सकता है. वहीं एक हजार किलोग्राम प्रति एकड़ महुआ की खली या फिर 150 किलोग्राम प्रति एकड़ की दर से ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल किया जा सकता है. ब्लीचींग पाउडर का इस्तेमाल शाम को सूरज डूबने के बाद करें. इसके साथ ही कुछ अवांछित कीड़े-मकोड़े भी तालाब में आ जाते हैं उन्हें भी बाहर कर देना चाहिए. इसके लिए वाशिंग पाउडर और वनस्पति तेल 100 एमएल प्रति एकड़ की दर से, वहीं 10 फीसदी साईपरमोथिन या बायोपेरटीसाईड का भी उपयोग कर सकते हैं.
एक एकड़ के तालाब में 50 किलोग्राम चूने का इस्तेमाल करना चाहिए.
एक एकड़ के तालाब में गाय-भैंस, बैल के दो हजार किलोग्राम गोबर का इस्तेमाल करें.
एक एकड़ तालाब में सरसो या राई की 100 किलो खली का इस्तेमाल कर सकते हैं.
एक एकड़ तालाब में 50 किलो यूरिया का इस्तेमाल कर सकते हैं.
पुराने तालाब में यूरिया का इस्तेमाल ना करें.
एक एकड़ तालाब में 100 किलो सिगल सुपर फॉस्फेट का इस्तेमाल करें.
20 किलोग्राम की दर से एक एकड़ तालाब में पोटाश का इस्तेमाल करें.
सूक्ष्म मिनरल मिक्सचर का इस्तेमाल 10 किलो प्रति एकड़ की दर से करें.
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