साल के 12 महीने पशुपालक का एक ही सवाल होता है कि गाय-भैंस को खाने में ऐसा क्या दें जिससे वो रोजाना ज्यादा से ज्यादा दूध दे. एनीमल एक्सपर्ट के मुताबिक कुछ पशुपालक को हरे चारे को ही ये मान लेते हैं कि जितना खाने में हरा चारा दिया जाएगा गाय-भैंस उतना ज्यादा ही दूध देगी. लेकिन ये तरीका गलत है. हरा चारा ज्यादा खिलाने पर गाय-भैंस को बीमार भी कर सकता है. इसलिए अगर दूध उत्पादन बढ़ाना है तो गाय-भैंस की रोजाना की खुराक में चारे और मिनरल की मात्रा को नियमानुसार खिलाना चाहिए.
हालांकि दूध उत्पादन कम होने के पीछे कई सारी वजह होती हैं. क्योंकि कई बार तो पशु उतना दूध भी नहीं देते हैं जो वो कुछ दिन या कुछ महीने पहले दे रहे होते हैं. कई बार पशु बीमारी के चलते भी पूरा दूध नहीं देते हैं. कई मामलों में तो पशु को देखकर भी लगता है कि बीमारी के चलते वो कम दूध दे रहा है.
एनीमल न्यूट्रिशन एक्सपर्ट डॉ. आरबी सिंह ने बताया कि गाय-भैंस हो या फिर भेड़-बकरी, सभी से ज्यादा और अच्छा दूध लेने के लिए जरूरी है कि उसका खानपान भी अच्छा हो, पशु की नस्ल अच्छी हो जिससे जब उसका बछड़ा हो तो उसकी ग्रोथ अच्छी हो और उत्पादन ज्यादा दे. लेकिन बड़े अफसोस की बात है कि हमारा पूरा ध्यान दूध उत्पादन पर ही रहता है, पशुओं के खानपान पर हम ध्यान नहीं देते हैं. जबकि सामान्या नियम भी ये है कि गाय-भैंस को कम से कम 10 किलो हरा चारा, पांच किलो सूखा चारा जरूर देना चाहिए. जब इतना खिलाएंगे तभी वो ठीक से दूध भी देगी. इतना ही नहीं अगर गाय-भैंस पांच किलो दूध देती है तो उसे कम से कम 2.5 किलो मिनरल मिक्चर भी खिलाना होगा.
डॉ. आरबी सिंह का कहना है कि आज हमारे देश में पशुओं की नस्ल सुधार के लिए सेक्स सॉर्टेड सीमेन जैसी तकनीक है. इसकी मदद से हम पशु से हर बार बछिया ले सकते हैं. आज देशभर में सीमेन बैंक भी हैं. आईवीएफ की मदद से उच्च गुणवत्ता वाले सीमेन का फायदा लेकर अच्छे बछड़े तैयार किए जा सकते हैं. हर राज्य और शहर में सरकारी-प्राइवेट सीमेन सेंटर हैं. सरकारी सेंटर पर तो बहुत ही कम रेट पर अच्छी क्वालिटी का सीमेन मिल जाता है. अब तो बुलावे पर घर-गांव में आकर भी पैरा वैट आर्टिफिशल इंसेमीनेशन तकनीक से पशु को गाभिन करने आते हैं.
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