अभी बकरी पालन दूध से ज्यादा मीट के लिए होता है. यही वजह है कि बकरी पालन का मुनाफा उसके द्वारा दिए जाने वाले बच्चों पर टिका होता है. सामान्य तौर पर एक बकरी साल में दो बार दो-दो बच्चे देती है. और अगर ये चारों बच्चे जिंदा बच जाते हैं तो तीन से चार महीने की उम्र पर ही ये बच्चे चार से पांच हजार रुपये के हिसाब से बिक जाते हैं. लेकिन ये तब है जब बच्चे जिंदा बचें. इसलिए सभी पशुपालकों की ये कोशिश होती है कि पैदा होने वाला बच्चा बच जाए.
गोट एक्सपर्ट बताते हैं कि बकरी के बच्चों की मृत्यु दर को कम करना या खत्म करना कोई मुश्किेल काम नहीं है. बस इसके लिए जरूरत है तो अलर्ट रहने की. जैसे ही बकरी गाभिन हो तो उसका खास ख्याल रखना शुरू कर दें. न सिर्फ खुराक को लेकर, बल्कि गाभिन होने के बाद लगने वाले टीकों को लेकर भी. क्योंकि बकरी पालन में जरा सी चूक बड़ा नुकसान करा सकती है.
गोट एक्सपर्ट का कहना है कि बकरी के बच्चों की मृत्यु् दर कम करने के लिए ये बहुत ही जरूरी है कि जैसे ही बच्चा पैदा हो उसे फौरन ही मां का दूध पिलाएं. फिर चाहें बकरी ने बच्चा देने के बाद जैर गिराई हो या नहीं. बच्चे का वजन एक किलो होने पर उसे 100 से 125 ग्राम तक दूध पिलाएं. दूध दिनभर में तीन से चार बार में पिलाएं. मौसम से बचाने के उपाय भी अपनाएं. जब बच्चा 18 से 20 दिन का हो जाए तो से पत्तियों की कोपल देना शुरू कर दें. एक महीने का होने पर पिसा हुआ दाना खिलाएं.
बच्चा तीन महीने का हो जाए तो उसका टीकाकरण शुरू करा दें. और इस सब के बीच इस बात का खास ख्याल रखें कि जब बकरी बच्चा देने वाली हो तो उससे डेढ़ महीने पहले से बकरी को भरपूर मात्रा में हरा, सूखा चारा और दाना खाने को दें. इससे होगा यह कि पेट में पल रहे बच्चे तक भी अच्छी खुराक पहुंचेगी और जब बच्चा पैदा होगा तो उसके बाद बकरी दूध भी अच्छा और ज्यादा देगी.
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