हेल्दी है, वजन भी खूब है, देखने में खूबसूरत भी है, लेकिन सिर्फ इन्हीं खूबियों के चलते बकरा बकरदी के बाजार में नहीं बिकेगा. अगर कुर्बानी की कई सारी शर्तों में से बकरा एक भी शर्त पूरी नहीं करता है तो फिर वो बाजार में नहीं बिकेगा. खासतौर से बकरीद के लिए तो उसे कोई नहीं खरीदेगा. इसलिए गोट एक्सपर्ट सलाह देते हैं कि अगर आप बकरीद के बाजार में बकरे बेचने जा रहे हैं तो करीब आठ पॉइंट पर पहले उसकी घर पर ही जांच कर लें. हालांकि जांच के दौरान कोई भी कमी सामने आती है तो उसे दूर करना मुश्कितल है.
सिवाए सिर्फ बकरे की कमजोरी को छोड़कर. बकरा अगर कमजोर है तो 10-15 दिन में उसे अच्छी खुराक देकर मोटा-ताजी किया जा सकता है, लेकिन और जो दूसरी कमियां हैं वो दूर नहीं हो सकती हैं. क्योंकि बकरीद कुर्बानी का त्यौहार है. इस मौके पर हलाल पशुओं की कुर्बानी दी जाती है. हलाल वो जिसके बारे में कुरान और हदीस में बताया गया है. लेकिन हमारे देश में ज्यादातर बकरों की कुर्बानी दी जाती है. कुछ राज्यों में भेड़ की कुर्बानी ज्यादा दी जाती है. लेकिन हलाल पशु होने के साथ ही कुछ और भी शर्त पूरी करना जरूरी होता है.
बकरे बेचने वाले बकरे के साथ भी 420 का खेल खेलने लगे हैं. कमजोर बकरा भी खरीदार को मोटा-ताजी और तंदरुस्त दिखे इसके लिए बकरे में कई तरह के खेल किए जाते हैं. जैसे बकरे को जरूरत से ज्यादा पानी पिला देते हैं. अब आप कहेंगे कि बकरा कैसे ज्यादा पानी पी लेता है. तो खेल ये कि बकरा पालक बकरे को एक ऐसी दवाई खिलाते हैं जिससे उसका गला खुश्क हो जाता है. ऐसे में जब बकरा पानी मांगता है तो उसके मुंह से दो लीटर की बोतल लगा दी जाती है. और बकरा गटागट पानी पी जाता है. ऐसे बकरों की पहचान ये है कि ज्यादा पानी पीने के बाद बकरा जुगाली नहीं कर पाता है. आप गौर करें तो बकरा अगर 15-20 मिनट तक जुगाली नहीं करता है तो समझ लें कि बकरे को जरूरत से ज्यादा पानी पिलाया गया है.
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