ये बात तो सभी जानते हैं कि बकरीद पर कुर्बानी के लिए खरीदे जाने वाले बकरे आम दिनों के मुकाबले महंगे होते हैं. बाजार के जानकार इसके पीछे दो बड़ी वजह बताते हैं. एक तो मार्केट में बकरों की डिमांड बढ़ना और धार्मिक आधार पर मानकों के साथ बकरों की खरीद-फरोख्त का होना. यही वजह है कि कुर्बानी के लिए बकरे खरीदने वाले बकरे को बहुत ही जांच-परख के बाद ही खरीदते हैं. हालांकि बकरीद के दौरान हलाल पशुओं की कुर्बानी दी जाती है. हलाल उन्हें कहा जाता है जिनके बारे में कुरान और हदीस में बताया गया है.
जबकि हमारे देश में ज्यादातर पहले नंबर पर बकरों की और दूसरे नंबर पर भेड़ की कुर्बानी दी जाती है. इसीलिए कुर्बानी का पशु खरीदते वक्त उसके हलाल होने के साथ ही कुर्बानी की दूसरी शर्तों को भी वो पूरा कर रहा है या नहीं ये भी देखा जाता है. क्योंकि तय शर्तों में से एक भी शर्त छूट जाती है तो ऐसे बकरे की कुर्बानी नहीं दी जा सकती है. कुर्बानी के बकरे की क्या शर्तें हैं और बकरे में शारीरिक रूप से क्या कमी नहीं होनी चाहिए इस खबर में यही बताया जा रहा है.
बकरे बेचने वाले बकरे में फ्रॉड यानि 420 का खेल खेलने लगे हैं. कमजोर बकरा भी खरीदार को मोटा-ताजी और तंदरुस्त दिखे इसके लिए बकरे में कई तरह के खेल किए जाते हैं. जैसे बकरे को मोटा दिखाने के लिए उसे जरूरत से ज्यादा पानी पिला देते हैं. अब आप कहेंगे कि बकरा कैसे ज्यादा पानी पी लेता है. तो खेल ये कि बकरा पालक बकरे को एक ऐसी दवाई खिलाते हैं जिससे उसका गला खुश्क हो जाता है. ऐसे में जब बकरा पानी मांगता है तो उसके मुंह से दो लीटर की बोतल लगा दी जाती है. और बकरा गटागट पानी पीए जाता है. ऐसे बकरों की पहचान ये है कि ज्यादा पानी पीने के बाद बकरा जुगाली नहीं कर पाता है. आप गौर करें तो बकरा अगर 15-20 मिनट तक जुगाली नहीं करता है तो समझ लें कि बकरे को जरूरत से ज्यादा पानी पिलाया गया है.
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