नई उम्र का पशु हो या एक-दो बच्चा दे चुकी गाय-भैंस, या फिर दूध और बच्चा देने वाला पशु हो, सभी को पोषण से भरपूर एक अच्छी खुराक की जरूरत होती है. जब खुराक अच्छी होगी तो पशु से उत्पादन भी भरपूर मिलेगा. इसलिए ये जरूरी है कि पशुओं की खुराक में चारा, मिनरल और दाना सभी शामिल हो. लेकिन जरूरत के मुताबिक पशु अपनी खुराक तभी लेता है जब उसका पेट सही हो. अगर पेट जरा सा भी खराब है तो पशु खाना-पीना छोड़ देता है. और इसका सबसे ज्यादा असर पशु के उत्पादन पर पड़ता है. पशु के पेट खराब होने की भी कई वजह होती हैं.
पशु का पेट खराब होना यानि अफरा होना. ये पशुओं की आम परेशानी है. पशुओं की संख्या पांच हो या 50 अफरा की परेशानी पशुओं में हर जगह देखी जाती है. इसकी मुख्य वजह हरा चारा भी है. लेकिन जरूरी है कि पशु का पेट खराब होते ही उसका इलाज शुरू कर दिया जाए, नहीं तो पशु खाना-पीना छोड़ देता है.
रसदार हरा चारा जैसे रिजका, बरसीम ज्यादा खा लेने से.
ज्यादा स्टार्च वाले अनाज गेहूं, मक्का, बाजरा ज्यादा मात्रा में खा लेने से.
पशुओं की खुराक में अचानक परिवर्तन कर देने से हो सकता है.
गैस निकालने वाले रास्ते जैसे ग्रसिका में किसी भी प्रकार की रुकावट आ जाने पर.
एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो पशु का पेट खराब यानि अफरा होने पर पशु के बाई और की साइड का पेट फूल जाता है. पेट का आकार बढ़ा हुआ दिखाई देता है. रूमन का गैसों से अधिक फूल जाने के कारण डायफ्राम पर दबाव पड़ता है. पशु को सांस लेने में दिक्कत होती है. पशु मुंह खोलकर जीभ बाहर निकालकर सांस लेता है. पशु बैचेन और सुस्त दिखाई देता है. बार-बार थोड़ा-थोड़ा गोबर-पेशाब करता है. सही समय पर उपचार नहीं किया जाए तो पशु की मौत भी हो सकती है.
पशु को अफरा होने पर पशु का खाना बंद कर देना चाहिए.
पशु को ढलान वाली जगह पर खड़ा कर देना चाहिए.
इससे पशु के आगे वाला हिस्सा ऊंचा रहेगा और पीछे वाला नीचे.
ढलान पर खड़ा करने से डायाफ्राम पर रुमन का दबाव थोड़ा कम पड़ेगा.
ढलान पर खड़ा करने से पशु को सांस लेने में परेशानी नहीं होगी.
ये भी पढ़ें- Goat Farm: देश के सबसे बड़े बकरी फार्म का हुआ उद्घाटन, मंत्री बोले पीएम का सपना हो रहा सच
ये भी पढ़ें-Artificial Insemination: अप्रैल से जून तक हीट में आएंगी बकरियां, 25 रुपये में ऐसे पाएं मनपसंद बच्चा
Copyright©2025 Living Media India Limited. For reprint rights: Syndications Today