गाय-भैंस बीमार-चोटिल हो जाए तो बदल जाता है चारा और उसे खिलाने का तरीका, ये हैं टिप्स
गाय-भैंस बीमार हो या चोटिल और ऐसे वक्त वो कुछ न खा रही हो तो उसके सामने ऐसा चारा रखें जिसे वो बड़े ही शौक से खाता हो. जुगाली करने में ज्यादा मेहनत और वक्त न लगता हो. कभी भी बीमार होने पर भैंस को उसके चारे में दवाई मिलाकर न दें.
गाय-भैंस दुधारू हो या गर्भवती, उसे चारा और दाना-पानी देना बहुत खास हो जाता है. इसी तरह अगर पशु बीमार हो जाए या फिर किसी वजह से चोटिल हो जाए तो ऐसे में उसे क्या खिलाना है और कैसे खिलाना है ये भी बहुत खास हो जाता है. क्योंकि पशु उत्पादन कर रहा है या नहीं, लेकिन उसके रोजमर्रा के लिए चारा और दाना-पानी खिलाना बहुत जरूरी हो जाता है. फिर चाहें ऐसे हालात में गाय-भैंस कुछ खाने को तैयार हो या न हो. न खाने की वजह ये भी हो सकती है कि बीमार या चोटिल होने पर गाय-भैंस खाने के लिए अपने मुंह का इस्तेमाल नहीं कर पाती हैं.
ऐसे वक्त में किसी भी तरह से उन्हें खिलाना बहुत जरूरी होता है. मतलब कुछ ना कुछ खाने को जरूर दिया जाए. साथ ही एनीमल एक्सपर्ट ये भी सलाह देते हैं कि कभी भी बीमार पशु को खाने में दवाएं मिलाकर न दें. सूखा दाना तीन-चार घंटे भिगोकर खिलाया जा सकता है. कोशिश करें कि हरे चारे के रूप में साइलेज खिलाएं. ये भी जांच कर लें कि चारा और दाना-पानी दूषित न हो.
बीमार-चोटिल पशुओं को चारा खिलाने का ये है तरीका
बीमार भैंस के सामने ताजी कटी हुई रसीली घास रखकर खाने के लिए ललचाएं.
भैंस के मुंह में गहरी चोट है या मुंहपका हुआ है चारे का सूप दे सकते हैं.
भैंस को गुड़ या खाने में गुड़ मिलाकर खिलाएं.
भैंस की भूख बढ़ाने के लिए हिमालयन बतीसा खिलाया जा सकता है.
भैंस की खुराक में नमक मिलाकर भी उसे खिलाया जा सकता है.
बीमार गाय-भैंस को खुराक में एनर्जी और प्रोटीन बढ़ाकर खिलाएं.
खाने में सोयाबीन, मूंगफली की खल, वनस्पति तेल, गुड़, प्रोपलीन ग्लाइकोल और कैसिइन खिला सकते हैं.
एक बार में ज्यादा खिलाने के बजाए थोड़ा-थोड़ा कई बार में दिया जा सकता है.
भैंस मुंह के रास्ते नहीं खा-पी रही है तो नली से सूप पिलाया जा सकता है.
चारा न खाने पर भैंस को माइक्रोबियल कल्चर प्रोबायोटिक्स (लैक्टोबैसिलस, यीस्ट) खिलाया जा सकता है.
पानी की कमी को इलेक्ट्रोलाइट्स और एसिडोसिस को बाइकार्बोनेट से ठीक किया जा सकता है.