देश ही नहीं विदेशों में भी अंडों की डिमांड खूब बढ़ रही है. क्योंकि बहुत सारे देशों के मुकाबले इंडियन पोल्ट्री का अंडा सस्ता है तो उसके खरीदार भी बहुत हैं. खरीदारों की संख्या लगातार बढ़ रही है. देश में बीते साल अंडे का सालाना उत्पादन 139 बिलियन यानि करीब 14 हजार करोड़ पर पहुंच गया था. साल 2022-23 में अंडा उत्पादन में बीते साल के मुकाबले करीब 800 करोड़ अंडों की बढ़ोतरी हुई थी. पोल्ट्री एक्सपर्ट की मानें तो हर साल अंडा उत्पादन छह से सात फीसद की रेट से बढ़ रहा है.
शायद इसीलिए अंडा उत्पादन मतलब पोल्ट्री कारोबार में भी अच्छी संभावनाएं बताई जा रही हैं. देश में भी अंडों की अच्छी खासी डिमांड है. आज देश में प्रति व्यक्ति सालाना 101 अंडों की खपत है. हालांकि सरकार इसे 180 करने की कोशिशों पर काम कर रही है. एक्सपर्ट की मानें तो अंडा उत्पादन के लिए पोल्ट्री फार्म में कृषि लेअर, वनश्री, ग्रामप्रिया, निकोबरी, कड़कनाथ, सरहिंदी, घागुस और वनराजा नस्ल की मुर्गियां पालकर इस कारोबार की शुरुआत की जा सकती है.
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देसी मुर्गियों का अंडा सबसे ज्यादा महंगा बिकता है. कुछ मुर्गियां कम अंडा देती हैं तो कुछ ज्यादा. प्रोटीन की जरूरत को पूरा करने के लिए डॉक्टर अंडे को बेहतर विकल्प बताते हैं. अंडा वेज है या नॉनवेज, दशकों बाद आज भी ये बहस जारी है और अंडे का उत्पादन भी बढ़ रहा है. अंडे की तरफ लोगों को जागरुक करने और अंडे की खपत बढ़ाने के लिए टीवी पर विज्ञापन की मदद से ‘संडे हो या मंडे, रोज खाएं अंडे’ का नारा दिया जाता है. नेशनल एग कोऑर्डिनेशन कमेटी (एनईसीसी) अंडे के प्रचार-प्रसार का काम करती है. यही वजह है कि हर साल अंडे की खपत बढ़ रही है.
किसी भी नस्ल की ऐसी कोई मुर्गी नहीं है जो अंडा ना देती हो. ये बात अलग है कि कोई कम देती है तो कोई ज्यादा. लेकिन कृषि लेअर एक ऐसी लेअर बर्ड है जो साल में सबसे ज्यादा अंडे देने वाली मुर्गी है. एनिमल एक्सपर्ट की मानें तो यह मुर्गी एक साल में 280 से लेकर 290 तक अंडे देती है. कमर्शियल पोल्ट्री फार्म में अंडा उत्पादन के लिए 98 फीसद पोल्ट्री फार्मर इसी नस्ल की मुर्गी को पालते हैं. बाजार से हम जो सफेद अंडा खरीदते और खाते हैं वो इसी मुर्गी का होता है.
आज बाजार में इसका अंडा छह रुपये से लेकर बड़े मॉल में आठ रुपये तक का बिक रहा है. ये सबसे सस्ता अंडा कहा जाता है. अगर सबसे महंगे अंडे की बात करें तो वो असील मुर्गी का होता है. ये देसी नस्ल की मुर्गी होती है. इस नस्ल की मुर्गी सालभर में 60 से 70 अंडे ही देती है. असील का एक अंडा 80 से 100 रुपये तक का बिकता है. इसे दवाई के रूप में भी इस्तेमाल किया जाता है. सबसे कम अंडे देने वाली असील मुर्गी ही है.
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कृषि लेअर मुर्गी के अलावा मुर्गियों की और भी ऐसी नस्ल हैं जो रोजाना अंडे देती हैं. इन्हें देसी मुर्गी भी कहा जाता है. इनके अंडे की बिक्री कोई बहुत ज्यादा नहीं होती है. और बाजार में ये आसानी से मिलते भी नहीं हैं. इनका पालन बैकयार्ड पोल्ट्री मतलब घर, खेत और फार्म हाउस वगैरह पर ही होती है. ग्रामीण इलाकों में ही इसका अंडा आसानी से मिल पाता है. पोल्ट्री एक्सपर्ट के मुताबिक देसी मुर्गियों की खासतौर पर आठ ऐसी नस्ल हैं जो अंडे देती हैं. जैसे वनश्री एक साल में 180 से 190 तक अंडे देती है. ग्रामप्रिया 160 से 180, निकोबरी 160 से 180, कड़कनाथ 150 से 170, सरहिंदी 140 से 150, घागुस 100 से 115, वनराजा 100 से 110 अंडे देती है.
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