बीते कई साल भारत दूध उत्पादन में नंबर वन बना हुआ है. कई बड़े-बड़े देश इस मामले में बहुत पीछे हैं. बीते साल 24 करोड़ टन दूध का उत्पादन हुआ है. मतलब हर रोज 60 करोड़ लीटर दूध से ज्यादा. लेकिन डेयरी एक्सपर्ट की मानें तो इतने दूध उत्पादन के बाद भी इसका फायदा पशुपालकों को नहीं मिल पा रहा है. यहां तक की डेयरी प्रोडक्ट का एक्सपोर्ट भी नहीं बढ़ पा रहा है. इसके पीछे एक वजह प्रति पशु दूध उत्पादन कम होना भी बताया जा रहा है. शायद इसी लिए मिल्क रेव्युलेशन-2 की चर्चा हो रही है. गौरतलब रहे दुग्ध क्रांति के पितामाह डॉ. वर्गीस कुरियन ने मिल्क रेव्युलेशन की शुरुआत की थी.
मिल्क रेव्युलेशन की वजह से ही 50 साल में दूध उत्पादन 2.4 करोड़ टन से 24 करोड़ टन पर पहुंचा है. लेकिन घरेलू और एक्सपोर्ट बाजार में डेयरी प्रोडक्ट की डिमांड कैसे बढ़ेगी, इस बारे में डेयरी एक्सपर्ट कई खास बिन्दुओं का जिक्र करते हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि डेयरी सेक्टर में इन बिन्दुओं को शामिल कर घरेलू और एक्सपोर्ट डिमांड को बढ़ाया जा सकेगा.
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इंडियन डेयरी एसोसिएशन के प्रेसिडेंट डॉ. आरएस सोढ़ी का कहना है कि मिल्क रेव्युलेशन-2 की अगर शुरुआत होती है तो इससे डेयरी सेक्टर और उससे जुड़े पशुपालकों की तस्वीर बदल जाएगी. लेकिन इसके लिए पहले तो हमे प्रति पशु दूध उत्पादन बढ़ाने पर जोर देना होगा. आधुनिक प्रोसेसिंग प्लांट बनाने के साथ ही उनकी संख्या बढ़ानी होगी. एक्सपोर्ट और घरेलू दोनों स्तर के बाजार का दायरा बढ़ाना होगा. इंटरनेशनल मार्केट में डिमांड को देखते हुए घी पर काम करना होगा. सरकार को भी चाहिए कि वो कोऑपरेटिव, डेयरी वैल्यू चेन और इंफ्रास्ट्रक्चर में इंवेस्ट करे. इतना ही नहीं पशुओं की चारा लागत को भी कम करना होगा.
आरएस सोढ़ी ने दूध उत्पादन बढ़ाने के टिप्स देते हुए कहा कि आज सबसे बड़ी जरूरत ज्यादा से ज्यादा किसानों को पशुपालन में लाने और जो पहले से काम कर रहे हैं उन्हें रोकने की है. चार-पांच गाय-भैंस पालने वाले किसान को कुछ बचता नहीं है और दूध की कमाई का एक बड़ा हिस्सा चारे में खर्च हो जाता है. बिजली बहुत महंगी हो गई है. अच्छा मुनाफा ना होने की वजह से किसान के बच्चे आज पशुपालन नहीं करना चाहते हैं. पशुपालन अर्गेनाइज्ड करना होगा, क्योंकि ऐसा होने से दूध उत्पादन की लागत कम आती है.
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