scorecardresearch
Livestock Census: पशुगणना में खानाबदोश चरवाहों की भी होगी गिनती, ये है सरकार का प्लान

Livestock Census: पशुगणना में खानाबदोश चरवाहों की भी होगी गिनती, ये है सरकार का प्लान

21वीं पशुगणना में गिनती के दौरान मवेशी, भैंस, मिथुन, याक, भेड़, बकरी, सुअर, घोड़ा, टट्टू, खच्चर, गधा, ऊंट, कुत्ता, खरगोश और हाथी के बारे में जानकारी जमा की जाएगी. साथ ही दोनों तरह की पोल्ट्री  के तहत मुर्गी-बत्ताख समेत पोल्ट्री  में आने वाले सभी पक्षियों की जानकारी उनकी उम्र, लिंग और नस्ल के अनुसार की जाएगी. 

advertisement
Officials suspect that these cow carcasses were transported from urban areas and dumped in the forest at night | File Photo/Reuters Officials suspect that these cow carcasses were transported from urban areas and dumped in the forest at night | File Photo/Reuters

खानाबदोश यानि घुमंतू चरवाहों के संबंध में केन्द्र सरकार लगातार चर्चा कर रही है. हाल ही में केन्द्रीय मत्य्खान, पशुपालन और डेयरी मंत्री परषोत्तम रूपाला ने कश्मीर में खानाबदोश चरवाहों संग एक सम्मेलन किया था. अब सरकार योजना बनारही है कि खानाबदोश चरवाहों की गिनती की जाए. उनके पास पल रहे पशुओं को भी गिना जाए. गौरतलब रहे हर पांच साल में एक बार पशुधन जनगणना (Livestock Census) होती है. आखिरी 20वीं पशुगणना साल 2019 में हुई थी. अब 21वीं गणना साल 2024 में होनी है. गुजरात, राजस्थान, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और मध्य  प्रदेश आदि में बड़ी संख्या में खानाबदोश चरवाहें रहते हैं. 

इसी विषय पर प्लान बनाने के लिए सात फरवरी को इंदौर, मध्य  प्रदेश में बैठक बुलाई गई थी. बैठक में इस बात पर चर्चा हुई कि ऐसे चरवाहों का डेटा शामिल करते वक्त  किन विषयों को शामिल किया जाए. खानाबदोश चरवाहों का डेटा इकट्ठा करने के दौरान चारागाहों, खानाबदोशों के आवास, उनके रूट आदि पर बात की जाएगी.

ये भी पढ़ें: Dairy Expo: डेयरी एक्सपो में हुई मिल्क रेव्युलेशन-2 चलाने की बात, जानें क्यों पड़ रही जरूरत

इसलिए भी होगी खानाबदोश चरवाहों की गिनती  

सरकार खुरपका-मुंहपका रोग पर काबू पाने के लिए हर एक पशु तक अपनी पहुंच बढ़ा रही है. इस कोशिश में विभाग लक्ष्य के काफी करीब तक पहुंच चुके हैं. लेकिन एक ठिकाना न होने के चलते खानाबदोश इस अभियान में पीछे छूट जाते हैं. पशुपालन और डेयरी मंत्रालय ने आंकड़े जारी करते हुए बताया कि इंफेक्शन वाली 66 फीसद बीमारी जानवरों से इंसानों में होती है. 75 फीसद बीमारी ऐसी हैं जिसका कारण पशु हैं. इस खतरे पर काबू पाने के लिए भी मंत्रालय ने खानाबदोश समुदाय के संबंध में यह योजना शुरू की है. 

योजनाओं का भी मिलेगा फायदा 

पशुपालन करने वाले खानाबदोशों को भेड़-बकरी समेत सभी तरह के पशुओं के लिए किसान केडिट कार्ड की सुविधा भी दी जाएगी. खानाबदोश समुदाय को पशुपालन मंत्रालय की ओर से जारी सभी योजनाओं का फायदा मिलता रहे इसके लिए सरकार ने खानाबदोश प्रकोष्ठ का गठन किया है. 

वो राज्य जहां से खानाबदोश समुदाय की जानकारी मांगी गई थी 

पशुपालन मंत्रालय ने देश के करीब 12 राज्यों से खानाबदोश समुदाय के बारे में जानकारी मांगी थी.  इस लिस्ट में शामिल राज्यों में यूपी, उत्तराखंड, राजस्थान, गुजरात, कर्नाटक, ओड़िशा, आंध्रा प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, सिक्किम, जम्मू-कश्मीर, लद्दाख और अरुणाचल प्रदेश को पत्र भेजकर मंत्रालय ने सभी जानकारी मांगी  हैं.

ये भी पढ़ें: Dairy Expo: डेयरी सेक्टर एक लाख लीटर दूध पर गांव-शहर में देता है 6 हजार नौकरी-आरएस सोढ़ी  

मंत्रालय के मुताबिक राज्यों से खानाबदोश की आबादी के बारे में जानकारी, उनकी संख्या, उनके पास पशु कौन से हैं, पशुओं की संख्या , सर्वे के दौरान जहां रह रहे हैं उस रोड का नाम, अनुमानित उत्पादन, बिक्री का तरीका, अगर किसी योजना का फायदा ले रहे हैं तो उसकी जानकारी. मंत्रालय द्वारा मार्च में दी गई जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड, लद्दाख, राजस्थान, हिमाचल, कर्नाटक, सिक्किम और जम्मू-कश्मीर राज्यो ने खानाबदोश समुदाय के बारे में जानकारी दे दी थी.