Milk Production: बरसात में खुजली से छोटे-बड़े सभी पशु रहते हैं परेशान, दूध उत्पादन पर पड़ता है असर

Milk Production: बरसात में खुजली से छोटे-बड़े सभी पशु रहते हैं परेशान, दूध उत्पादन पर पड़ता है असर

डॉ. नटराज ने बताया अभी यह ब्रॉश बाजार में फिनलैंड की कंपनी के साथ मिलकर बिक रहे हैं. अभी देश में दो कंपनियां इन ब्रॉश को बेच रही हैं. बाजार में ब्रॉश की कीमत 40 हजार रुपये से लेकर एक लाख रुपये तक है. बाजार में मैक्सी, मिडी, मिनी और टोटम चार तरह के ब्रॉश हैं. 

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Milk Production: बरसात में खुजली से छोटे-बड़े सभी पशु रहते हैं परेशान, दूध उत्पादन पर पड़ता है असरपशुओं की खुजली दूर करने वाला ब्रश. फोटो क्रेडिट-डॉ. नटराज

मामूली सी दिखने वाली खुजली भी छोटे-बड़े सभी तरह के पशुओं पर बड़ा असर डालती है. खुजली के चलते ही पशु मानसिक और शारीरिक तौर पर परेशान रहते हैं. इतना ही खुजली के चलते रोजाना के दूध उत्पादन पर भी इसका असर पड़ता है. यही वजह है पशुओं के डॉक्टर खुजली जैसी बीमारी को मामूली ना समझने की सलाह देते हैं. क्योंकि खुजली के चलते ही कई बार पशु में गंभीर रोग भी हो जाते हैं. खुजली वाली जगह पर घाव तक बन जाता है. खुजली दूर करने के चक्कर में पशु कई बार अपने आप को चोटिल तक कर लेता है. बरसात के मौसम में पशु को खुजली बहुत परेशान करती है.

कई बार तो इंफेक्शन के चलते पशु की मौत तक हो जाती है. इसी के चलते बाजार में पशुओं के लिए एक खास ब्रॉश आया है. हालांकि अभी यह दूसरे देशों से आयात किया जा रहा है इसलिए थोड़ा महंगा है. लेकिन एक्सपर्ट का दावा है कि जब ब्रॉश से जुड़ी कुछ चीजें भारत में ही बनने लगेंगी तो इसकी कीमत काफी कम हो जाएगी. 

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खुजली होने पर मानसिक रूप से परेशान रहता है पशु 

डेयरी एक्सपर्ट डॉ. नटराज ने किसान तक को बताया कि पशु छोटा हो जैसे भेड़-बकरी या बड़ा पशु जैसे गाय-भैंस, घोड़ा, याक आदि खुजली की परेशानी सभी को होती है. शरीर के कुछ हिस्सों की खुजली को तो यह सभी छोटे-बड़े पशु खुद से ही दूर करने की कोशिश कर लेते हैं. लेकिन कभी-कभी शरीर के ऐसे हिस्से में भी खुजली होने लगती है जहां जानवर अपने पंजे या पूंछ का इस्तेमाल कर उसे दूर नहीं कर पाता है.

ऐसे में वो जानवर जो खूंटे से बंधा है तो वो वहीं किसी न किसी ऐसी चीज से जो उसके आसपास है अपनी खुजली को दूर करने की कोशिश करता है. वहीं जो जानवर खुला हुआ है वो कभी पेड़ से, कभी दीवार से तो कभी लोहे के तार की बाड़ या फिर जो भी मिल गया उसी से खुजाने की कोशिश करता है. कई बार लोहे के तार या कांटों वाले झाड़ से खुजाने के चलते पशु अपने को घायल भी कर लेता है.

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कई बार तो लोहे के तार से जख्म भी हो जाता है और उसी से पशु के शरीर में इंफेक्शन बन जाता है. खुजली जैसी इस परेशानी का असर गाय-भैंस और बकरी के दिमाग पर भी पड़ता है. पशु परेशान रहने लगता है. पशु के खाने-पीने पर भी इसका असर दिखाई देने लगता है. इन्हीं सब कारणों के चलते ही पशु के दूध उत्पादन पर भी इसका असर दिखने लगता है और दूध देना कम कर देता है.

खुजली एक संक्रमण रोग है. अगर ये बाड़े में एक पशु को होती है तो दूसरे अन्य पशुओं को होने की भी पूरी संभावना रहती है. इसका इलाज दवाई तो है ही साथ में पशुओं को खुजाने के लिए उनके आसपास कुछ ऐसे उपकरण रखे जाएं ज‍िसे वो अपनी खुजली को भी दूर कर सें, वो भी खुद को चोट पहुंचाए बिना. इसके लिए बाजार में भी कुछ छोटे-बड़े ब्रश मौजूद हैं. 

 

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