हिमाचल प्रदेश सरकार ने पशुपालन क्षेत्र में स्थानीय भागीदारी को मजबूत करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया है. दरअसल, राज्य सरकार ने पशु मित्र नीति-2025 की शुरूआत की है. इससे हिमाचल में पशु चिकित्सा स्वास्थ्य सेवा और नस्ल सुधार के लिए सेवाओं की डिलीवरी में बेहतरी आएगी. पशुपालन विभाग के प्रवक्ता ने बताया कि इस नीति के माध्यम से राज्य सरकार मवेशियों और अन्य पालतू पशुओं की तत्काल स्वास्थ्य आवश्यकताओं को पूरा करना चाहती है.
बताया गया है कि शुरुआत में, राज्य के ग्रामीण इलाकों में 1,000 युवा स्थानीय लोगों को प्रशिक्षित किया जाएगा और उन्हें पशु मित्र (बहु-कार्य कार्यकर्ता) के रूप में नियुक्त किया जाएगा. जिन क्षेत्रों में पशु चिकित्सा सेवाएं गांवों से दूर हैं, वहां ये कार्यकर्ता पशु चिकित्सक और किसान के बीच कड़ी का काम करेंगे. बता दें कि दूर-दराज के गांवों में पशुओं के स्वास्थ्य से जुड़े छोटे-मोटी समस्याओं के लिए पशु डॉक्टर मिलना या तो आसान नहीं होता या फिर पशु पालक खुद डॉक्टर को बुलाने में हिचकते हैं. प्रवक्ता ने कहा कि स्थानीय समुदाय के एक व्यक्ति, पशु मित्र की नियुक्ति से इस आवश्यकता की पूर्ति होगी और पशुधन के प्रबंधन में समुदायों की बेहतर भागीदारी सुनिश्चित होगी, साथ ही स्थानीय स्तर पर आजीविका के अवसर उपलब्ध होंगे और रोजगार के नए रास्ते खुलेंगे.
अधिकारी ने आगे बताया कि पशु मित्र एक बार पशु चिकित्सा संस्थान में नियुक्त होने के बाद वहीं रहेंगे और उनका स्थानांतरण नहीं किया जा सकेगा. अधिकारी ने बताया कि चयनित पदधारी को प्रतिदिन केवल 4 घंटे काम करने के लिए 5,000 रुपये प्रति माह मानदेय दिया जाएगा. प्रवक्ता ने यह भी बताया कि पशु मित्र विभाग की गतिविधियों से जुड़े रहेंगे और इस क्षेत्र के महत्वपूर्ण स्थानीय मुद्दों, जैसे मानव-पशु संघर्ष और आवारा पशुओं के बारे में जागरूकता पैदा करने में मदद करेंगे.
पशु मित्रों की नियुक्ति के लिए पात्रता मानदंड में संबंधित पशु चिकित्सा संस्थान के अधिकार क्षेत्र में आने वाली ग्राम पंचायत या शहरी स्थानीय निकाय के निवासी शामिल हैं. उन्हें पशु चिकित्सा संस्थानों और पशुधन फार्मों में विभिन्न कर्तव्यों का पालन करना होगा. प्रवक्ता ने कहा कि इन कर्तव्यों में अन्य बातों के अलावा 11 लीटर, 26 लीटर और 35 लीटर की भार क्षमता वाले तरल नाइट्रोजन गैस से भरे तरल नाइट्रोजन कंटेनरों को उठाना शामिल है. साथ ही गाय, भैंस, घोड़े, खच्चर आदि जैसे बड़े जानवरों को संभालने, ढालने और सुरक्षित रखने के लिए इनकी आवश्यकता होती है. (सोर्स- PTI)
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