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बिहार में तापमान 40 डिग्री के पार, मवेशियों को लू से बचाने के लिए करें ये उपाय, नहीं कम होगा दूध का उत्पादन

बिहार में तापमान 40 डिग्री के पार, मवेशियों को लू से बचाने के लिए करें ये उपाय, नहीं कम होगा दूध का उत्पादन

अप्रैल महीने में बढ़ा तापमान. बिहार का पारा औसत 40 डिग्री के पार पहुंचा. बढ़ते तापमान के चलते पशुपालक अपने पशुओं का रखें ध्यान. पशुपालकों से यही कहना है कि वह अपने पशुओं को दोपहर में खुले स्थान पर नहीं बांधे.

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दूध उत्पादन दूध उत्पादन

गर्मी का असर अब इंसान के साथ-साथ मवेशियों के ऊपर भी दिखने लगा है. तपिश का आलम यह है कि सुबह का 10 बजते ही आसमान में तीखी धूप खिल जा रही है. इससे लोगों का घर से बाहर निकलना मुश्किल हो गया है. ऐसे में लोग गर्मी से राहत के लिए पंखे, कूलर और एसी का इस्तेमाल कर रहे हैं. लेकिन परेशानी तो मवेशियों के साथ हो रही है. वे हीट वेब के चलते सही तरह से चारा भी नहीं खा पा रहे हैं. इससे उनके दूध देने की क्षमता भी प्रभावित हो रही है. लेकिन अब मवेशियों के ऊपर हीट वेब के असर को कम किया जा सकता है.

बिहार पशु विज्ञान विश्वविद्यालय पटना के पशु वैज्ञानिक डॉ. दुष्यंत कुमार यादव ने किसान तक से बात करते हुए बताया कि लंबे समय के बाद अप्रैल महीने में इस तरह का तेज धूप के साथ लू देखने को मिल रही है. ऐसी स्थिति में विशेष रूप से दूध देने वाली मवेशियों पर असर पड़ रहा है. अचानक वे औसत से दो से तीन लीटर तक कम दूध दे रही हैं.

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मौसम में होगा बदलाव 

हालांकि, मौसम विभाग के पूर्वानुमान अनुसार आने वाले एक से दो दिनों के अंदर तापमान में गिरावट के आसार हैं. दो दिनों के भीतर करीब 2 से 3 डिग्री तक तापमान में गिरावट आ सकती है. वहीं, 8 अप्रैल तक राज्य के कुछ हिस्सों में बारिश होने का अनुमान है. जिसमें राज्य का उत्तर पूर्व भाग, दक्षिण पश्चिम और दक्षिण मध्य सहित दक्षिण पूर्व बिहार के जिले शामिल हैं. इसके साथ ही मौसम विभाग ने लोगों को जरूरी काम होने पर ही घर से बाहर निकलने की सलाह दी है. 

मवेशियों का इस तरह रखें ख्याल

किसान तक से बातचीत करते हुए डॉ. दुष्यंत यादव ने कहा कि अप्रैल महीने में लू जैसी स्थिति करीब दस साल या उससे अधिक समय के बाद देखने को मिला है. जिसका सीधा असर दुधारू पशुओं पर देखने को मिल रहा है. पिछले कुछ दिनों से कई किसानों का फोन आ रहा है कि उनके मवेशियों ने अचानक दूध देना कम कर दिया है. वैसे पशुपालकों से यही कहना है कि वह अपने पशुओं को इस दौरान दोपहर में खुले स्थान पर नहीं बांधें. साथ ही भोजन में हरा चारा का उपयोग करें. हरा चारा की कटाई सुबह के समय करें. इसे कटाने से पहले पानी का छिड़काव जरूर करें. क्योंकि अधिक धूप होने पर टॉक्सिन बन जाते हैं. इसके लिए खेत में नमी बनाए रखना जरुरी है. साथ ही कभी भी धूप में पशुओं को भोजन नहीं देना है. 

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पशुओं को हर वक्त ताजा पानी देने की जरूरत है. उनके आवास पर विशेष ध्यान किसानों को देने की जरूरत है. किसान इस बात का ध्यान दें कि जिस स्थान पर पशु निवास कर रहे हैं वहां धूप या गर्मी का असर ज्यादा नहीं हो. वरना अधिक गर्मी की वजह से पशुओं को बीमार होने का खतरा बढ़ जाता है.