यूपी के विभिन्न Agri Climatic Zone में अगले दो सप्ताह के दौरान मौसम का मिजाज बदला हुआ रहेगा. वैसे तो पूरे प्रदेश में बेतहाशा गर्मी का प्रकोप पिछले कुछ सप्ताह से देखने का मिल रहा है. गर्मी की तपिश से बेहाल पूर्वी इलाकों में पिछले 24 घंटों में हुई छिटपुट बारिश और तेज हवाओं ने पूर्वांचल और पश्चिमी यूपी के अधिकांश इलाकों में गर्मी से हल्की राहत देने का काम किया है. इस बीच मौसम विभाग के पूर्वानुमान के मुताबिक 10 से 16 मई और 17 से 23 मई के दौरान उत्तर पूर्वी मैदानी इलाकों में मौसम का उतार चढ़ाव देखने को मिलेगा. मौसम की गतिविधियों का खेती पर पड़ने वाले असर के मुताबिक किसानों को उचित परामर्श देने के लिए मौसम विभाग (IMD) और कृषि विभाग की पहल पर गठित Crop Weather Watch Group ने प्रदेश के किसानों को Advisory जारी की है. यूपी कृषि अनुसंधान परिषद के महानिदेशक डॉ संजय सिंह की अगुवाई में क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप की गुरुवार को हुई बैठक में मौसम के संभावित मिजाज को देखते हुए किसानों को कुछ सुझाव दिए गए हैं.
मौसम विभाग ने यूपी के पश्चिमी और पूर्वी जिलों में 10 से 13 मई तक कहीं कहीं गरज बरस के साथ बौछारें पड़ने और 25 से 35 किमी प्रति घंटा की रफ्तार से तेज हवाएं चलने की संभावना व्यक्त की है. वहीं 12 मई को पूर्वी जिलों में कुछ स्थानों पर तेज बारिश, वज्रपात और धूल भरी आंधी का पूर्वानुमान व्यक्त किया गया है. इसके बाद 14 से 16 मई तक पूर्वी और पश्चिमी जोन में मौसम शुष्क रहने की संभावना है.
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क्रॉप वेदर वॉच ग्रुप ने मौसम के लगातार बदलते हालात को देखते हुए किसानों को अगले दो सप्ताह के लिए बेहतर कृषि प्रबंधन हेतु नियमित तौर पर मौसम के पूर्वानुमान से अवगत रहने का परामर्श दिया है. साथ ही शुष्क मौसम में नमी होने के कारण खेती की जमीन को पोषक तत्वों की आपूर्ति में बाधा उत्पन्न होने के मद्देनजर गेहूं की कटाई के बाद खेतों में फसल अवशेष को जलाने से परहेज करने को कहा है. इसके बजाय पर्यावरण की लगातार गंभीर होती स्थिति के मद्देनजर ग्रुप ने किसानों से खेत में हल्का पानी लगाकर 5 टन प्रति हेक्टेयर की दर से गोबर की खाद मिलाकर फसल अवशेष को सड़ाने की सलाह दी है. जिससे जमीन में नमी का स्तर बरकरार रखकर जमीन को पोषण देने की श्रृंखला बनी रहे.
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गोबर की खाद उपलब्ध न होने पर 20 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से नाइट्रोजन या 5 किग्रा प्रति हेक्टेयर की दर से ट्राइकोडर्मा को बालू या मिट्टी में मिलाकर जुलाई से पहले खेत में मिलाने का विकल्प भी किसान अपना सकते हैं.
इसके अलावा धान के किसान अपने खेतों में हरी खाद की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए ढेंचा की बुवाई तत्काल कर दें. उर्द, मूंग, गन्ना, आम और लीची की खेती कर रहे किसान अपने खेतों में गर्मी की अधिकता को देखते हुए समय के अनुकूल सिंचाई करते रहें.