इन दिनों हर तरफ साइक्लोन मोका की चर्चा है. इसके चलते कई राज्यों में भारी बारिश का अलर्ट है. कई जगह पर मछुआरों और किसानों को भी अलर्ट रहने के लिए कहा गया है. मगर अब जो नई रिसर्च और जानकारी सामने आ रही हैं उनके मुताबिक मोका को अब तक का सबसे खतरनाक तूफान माना जा रहा है. तमाम मौसम वेबसाइट्स इसे सुपर साइक्लोन की कैटेगरी में रख रही हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल अब तक उत्तरी और दक्षिणी गोलार्ध दोनों में 16 चक्रवात आ चुके हैं, लेकिन चक्रवात ‘मोका’ अब तक सबसे भयंकर चक्रवात है. सिर्फ इतना ही नहीं 1982 के बाद से अब तक अरब सागर और बंगाल की खाड़ी दोनों में सभी मौसमों सहित उत्तर हिंद महासागर में दर्ज किया गया अब तक का सबसे शक्तिशाली चक्रवात है मोका. जानते हैं मोकी की बाकी कहानी और मॉनसून पर इसके असर का खतरा-
डाउन टू अर्थ की एक रिपोर्ट के मुताबिक, दक्षिण कोरिया के जेजू नेशनल यूनिवर्सिटी में टायफून रिसर्च सेंटर के एक शोधकर्ता विनीत कुमार सिंह ने हिंद महासागर में दूसरे चक्रवात के आने की बात कही है. यह श्रेणी 2 चक्रवात के रूप में तीव्र हो सकता है जिसकी रफ्तार लगभग 148 किमी प्रति घंटा होगी. उन्होंने कहा, "यदि यह इस शक्ति तक तीव्र होता है, तो यह नियमित वायु गति पैटर्न को प्रभावित कर सकता है जो अंततः दक्षिण-पश्चिम मॉनसून को प्रभावित कर सकता है." मॉनसून का प्रभावित होना यानी कि किसानों का प्रभावित होना ऐसे में किसानों को भी पहले से ही सतर्क रहने की जरूरत होगी.
बता दें कि इस बार मॉनसून के 20 मई तक अंडमान पहुंचने की संभावना है. रिपोर्ट्स के मुताबिक 22 मई तक यह पूरे अंडमान निकोबार को कवर कर सकता है और 1 जून तक केरल पहुंच सकता है. ऐसे में आंशकाएं जताई जा रहा हैं कि चक्रवात मोका अगर तेज गति से आगे बढ़ता है तो इससे मॉनसून भी प्रभावित हो सकता है.
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आईएमडी के अनुसार मोका के चलते पूर्वोत्तर राज्यों त्रिपुरा, मिजोरम, नागालैंड, मणिपुर और असम के दक्षिणी हिस्से में 18 मई तक भारी से बहुत भारी बारिश होने की संभावना है। वहीं, 15 से 16 मई के दौरान अरुणाचल प्रदेश के छिटपुट स्थानों पर भारी बारिश होने की आशंका है. जबकि, 15 से 18 मई के दौरान असम, मेघालय, नागालैंड और मिजोरम के छिटपुट स्थानों पर भारी बारिश होने की आशंका है.
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वहीं, अगले 3 दिनों के दौरान पूर्वी भारत यानी बिहार, झारखंड, उप-हिमालयी पश्चिम बंगाल, सिक्किम, गंगीय पश्चिम बंगाल, ओडिशा और अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के कई हिस्सों में अधिकतम तापमान में 2-4 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होने की संभावना है और इसके बाद कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा.