PHOTOS: जयपुर में हुई देश की पहली कृत्रिम वर्षा, ड्रोन से कराई गई बारिश

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PHOTOS: जयपुर में हुई देश की पहली कृत्रिम वर्षा, ड्रोन से कराई गई बारिश

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राजस्थान की राजधानी जयपुर ने मंगलवार को एक ऐतिहासिक कदम उठाया. कृषि मंत्री डॉ. किरोड़ी लाल मीणा ने रामगढ़ बांध पर भारत के पहले ड्रोन आधारित कृत्रिम वर्षा (Artificial Rain) परीक्षण की शुरुआत की. यह परियोजना सूखा प्रभावित इलाकों में बारिश लाने और खेती को सहारा देने के लिए शुरू की गई है.

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अब तक भारत में कृत्रिम वर्षा के लिए हवाई जहाज का उपयोग किया जाता रहा है. लेकिन यह तरीका महंगा और कम प्रभावी साबित हुआ है. जयपुर की यह नई पहल ड्रोन तकनीक के माध्यम से एक नई दिशा की ओर इशारा करती है. ड्रोन की खासियत है कि यह छोटे क्षेत्रों को भी सटीक तरीके से टारगेट कर सकता है, जिससे बारिश कराने की संभावना बढ़ जाती है.

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क्लाउड सीडिंग तकनीक में ड्रोन के ज़रिए बादलों में सिल्वर आयोडाइड (Silver Iodide) या सोडियम क्लोराइड (Sodium Chloride) जैसे रसायनों का छिड़काव किया जाता है. ये रसायन बादलों में नमी को बूँदों में बदलने में मदद करते हैं, जिससे बारिश होती है. हालांकि, वैज्ञानिकों का कहना है कि यह प्रक्रिया तभी काम करती है जब आसमान में पहले से बादल मौजूद हों.

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इस परियोजना को राजस्थान कृषि विभाग और अमेरिका-बेंगलुरु आधारित कंपनी GenX AI मिलकर चला रहे हैं. रामगढ़ क्षेत्र में कुल 60 ड्रोन उड़ानों के ज़रिए क्लाउड सीडिंग की जाएगी. इसका उद्देश्य यह देखना है कि यह तकनीक कितनी प्रभावी है और क्या इसे बड़े पैमाने पर लागू किया जा सकता है.

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इससे पहले चित्तौड़गढ़ के भैंसुंडा बांध पर ₹10 करोड़ की लागत से हवाई जहाज से क्लाउड सीडिंग की गई थी, लेकिन कोई खास नतीजा नहीं मिला. 

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उम्मीद की जा रही है कि ड्रोन तकनीक इस दिशा में बेहतर परिणाम देगी और राजस्थान के सूखा प्रभावित क्षेत्रों के लिए एक सस्ता और प्रभावी समाधान बन सकेगी.

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अगर यह ड्रोन आधारित परीक्षण सफल रहता है, तो यह न केवल राजस्थान बल्कि पूरे भारत में कृत्रिम वर्षा की दिशा में एक क्रांति ला सकता है. यह नई तकनीक किसानों के लिए नई उम्मीद बन सकती है और सूखे की मार झेल रहे इलाकों को राहत दिला सकती है.