झारखंड में एक बार फिर मॉनसून सक्रिय दिखाई दे रहा है. इसे लेकर राज्य के कई जिलों के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है. अगले चार दिनों का पूर्वानुमान जारी करते हुए मौसम विज्ञान विभाग ने कहा कि झारखंड के उपर से एक मॉनसून टर्फ गुजर रहा है इसके प्रभाव से 20 सिंतबर को राज्य के दक्षिण और मध्य भाग के जिलों में कहीं-कहीं भारी बारिश की संभावना है. वहीं 21 सिंतबर को राज्य पश्चिमी तथा मध्य भाग में स्थित जिलों में कहीं-कहीं भारी भारी की संभावना जताई गई है. जबकि 22 सितंबर के लिए जारी मौसम पूर्वानुमान में कहा गया है इस दिन राज्य के उत्तर पश्चिम एवं उत्तर पूर्वी भागों में कहीं कहीं भारी वर्षा हो सकती है. इस तहर से देखा जाए तो लगभग पूरे राज्य के लिए यलो अलर्ट जारी किया गया है.
जिलावार येलो अलर्ट की बात करें तो 20 तारीख को लोहरदगा, रांची, गुमला, खूंटी, सरायकेला खरसावां पूर्वी सिंहभूम, पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. जबकि 21 सिंतबर के लिए गढ़वा,पलामू,लातेहार, लोहरदगा, रांची, खूंटी, गुमला,पश्चिमी सिंहभूम और सिमडेगा के लिए य़ेलो अलर्ट जारी किया गया है. वहीं 22 सिंतबर को गढ़वा, पलामू लातेहार, लोहरदगा, देवघर, जामताड़ा, दुमका, पाकुड, गोड्डा और साहिबगंज के लिए येलो अलर्ट जारी किया गया है. गौरतलब की सूखे की मार झेल रहे झारखंड के किसानों को इस बारिश से थोड़ी बहुत राहत मिलने की उम्मीद पर है इसका बहुत अधिक लाभ नहीं होगा.
वहीं पूरे राज्य के अब तक बारिश के आंकड़ों की बात करें तो यह लगातार दूसरी बार है जब झारखंड में इस तरह का जबरदस्त सूखा पड़ा है. सामान्य बारिश होने पर राज्य में आज तक 944.5 एमएम बारिश दर्ज की जाती है पर इस बार अब तक राज्य में इस अवधि तक मात्र 625.9 एमएम बारिश दर्ज की गई है. राज्य में वर्षा का विचलन माइनस 34 प्रतिशत है. राज्य के सिर्फ तीन ऐसे जिले गोड्डा, साहिबगंज और सिमडेगा जहां पर सामान्य बारिश दर्ज की गई है, यहां पर बारिश का विचलन प्लस माइनस 19 फीसदी है. जबकि चतरा जिले की स्थिति सबसे खराब है. यहां पर बारिश का विचलन माइनस 63 प्रतिशत है. इसके अलावा अन्य जिलों में बारिश का विचलन दर माइनस प्लस 20 से 59 प्रतिशत तक है.
आगामी तीन दिनों की बारिश को देखते हुए किसानों के लिए जारी सलाह में कहा गया है कि वर्षा के कारण सब्जियों में स़डन हो सकती है इसलिए परिपक्व फलों की तुड़ाई कर लें और उन्हें सुरक्षित स्थानों पर रखें. खड़ी फसल में रोग के प्रसार के लिए खेत में गिरे हुए फसलों को हटा दें. नर्सरी में जलजमाव नहीं होने दे इससे पौधों में सड़न हो सकती है. किसी भी प्रकार की दवा या कीटनाशक का छिड़काव करने के लिए मौसम साफ होने का इंतजार करें. धान की खेतों में जलजमाव बनाए रखने के लिए मेढ़ों को दुरुस्त करें.