ये भीलवाड़ा का खारी लांबा गांव है.. और यहां के एक बीघे खेत में मेहनत कर रहा ये कोई मामूली किसान नहीं है.. मकसूद नाम के इस किसान ने एमएससी की पढ़ाई की.. और फिर बीएड भी कर ली.. लेकिन अच्छी नौकरी और अच्छी सैलरी का सपना पूरा नहीं हुआ.. आखिर थक हारकर मकसूद ने अपना पुश्तैनी काम ही संभाला.. फूलों की खेती शुरू की.. लेकिन जिस क्षेत्र में मकसूद ने भारी मन से कदम रखा था, वहां कामयाबी कदम चूमने लगी.