अब उतरी भारत के किसान भी कर सकेंगे चंदन की खेती. चंदन के अच्छे और गुणवत्ता वाले पौधे तैयार करने के लिए केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान में खास तकनीक पर किया जा रहा है शोध. प्रशिक्षण लेने के बाद इसकी खेती से अपनी आमदनी को कई गुना बढ़ा सकते है किसान. सिर्फ 50 पेड़ 15 साल में बना देंगे करोड़पति.
चंदन का सदियों से भारतीय संस्कृति से जुड़ाव रहा है. पूजा में तिलक लगाने के साथ ही सफेद और लाल चंदन के रूप में इसकी लकड़ी का उपयोग मूर्ति, साज-सज्जा की चीजों, हवन करने और अगरबत्ती बनाने के साथ-साथ परफ्यूम और अरोमा थेरेपी आदि के लिए किया जाता है. आयुर्वेद में चंदन से कई दवाएं भी तैयार की जाती हैं.
देश के एकमात्र केंद्रीय मृदा एवं लवणता अनुसंधान संस्थान, करनाल के निदेशक डॉ आर के यादव ने बताया कि दक्षिण भारत में चंदन की खेती सबसे अधिक होती है क्योंकि केंद्र सरकार द्वारा 2001 में चंदन की खेती पर प्रतिबंध हटाने के बाद किसानों का रुझान इस ओर बढ़ा है. लेकिन तकनीक की भारी कमी के कारण इसकी खेती को अपेक्षित गति नहीं मिल पाई.
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आरके यादव ने कहा, अब इस संस्थान के विशेषज्ञों द्वारा चंदन में क्लोन्स को अलग-अलग क्षेत्रों से इकट्ठा कर उतरी भारत के वातावरण के अनुकूल कोशिश की गई है. पिछले 3 साल से इन्हीं योजनाओं पर शोध किए गए हैं. इसमें से जो चंदन के अच्छे पौधे मिले हैं, हम उसे खेतों में भी ले जा चुके है.
वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन का पेड़ जितना पुराना होगा, उतनी ही उसकी कीमत बढ़ती जाएगी. 15 साल के बाद एक पेड़ की कीमत करीब 70 हजार से दो लाख रुपये तक हो जाती है. ये बेहद लाभकारी खेती है. अगर कोई व्यक्ति 50 पेड़ ही लगाता है तो 15 साल बाद वह एक करोड़ रुपये के हो जाएंगे. औसत आमदनी सवा आठ लाख रुपये प्रति वर्ष से अधिक हो जाएगी. घर में बेटी या बेटा होने पर 20 पौधे भी लगा दिए जाएं तो उनकी शादी के खर्च की चिंता खत्म हो जाएगी.
वरिष्ठ वैज्ञानिक (कृषि वानिकी) डॉ. राज कुमार ने बताया कि चंदन परजीवी पौधा है. यानी वह खुद अपनी खुराक नहीं लेता है बल्कि दूसरे पेड़ की जड़ से अपनी खुराक लेता है. जहां चंदन का पौधा होता है, वहां पड़ोस में कोई दूसरा पौधा लगाना होता है, क्योंकि चंदन अपनी जड़ों को पड़ोसी पौधे की जड़ों की ओर बढ़ाकर उसकी जड़ों को अपने से जोड़ लेता है और उसकी खुराक में से ही अपनी खुराक लेने लगता है.
चंदन के पौधे पर संस्थान में प्रोजेक्ट शुरू हुआ है, जिस पर शोध और तकनीक पर काम चल रहा है. इसके तहत किसानों को खास तकनीक से चंदन की खेती करने का प्रशिक्षण भी दिया जाएगा. इसमें बताया जाएगा कि पेड़ों के बीच दूरी कितनी होनी चाहिए, कितना खाद पानी देना चाहिए. चंदन के साथ दूसरी और कौन-कौन सी फसलें ली जा सकती हैं. खास कर कम पानी वाली दलहनी फसलों आदि पर काम किया जा रहा है.
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डॉ राज कुमार ने किसानों से अपील करते हुए कहा कि किसान चंदन की खेती के प्रति जागरूक हों. चंदन की खेती के साथ वो फलदार पौधे भी लगा सकते हैं क्योंकि चंदन के पेड़ को 15 साल बड़े होने में लगेंगे तो उतनी देर उनको दूसरी तरफ से लाभ मिल सके. लेकिन फलदार पेड़ कौन से लगाने हैं, यह विशेषज्ञ बताएंगे.