Bell Peppers Farming: गजब! सब्जी की खेती से 50 लाख का मुनाफा, इस किसान ने अपनाई ये खास तकनीक

Bell Peppers Farming: गजब! सब्जी की खेती से 50 लाख का मुनाफा, इस किसान ने अपनाई ये खास तकनीक

आज हम बात कर रहे हैं पंजाब में होशियारपुर जिले के भीखोवाल गांव के रहने वाले किसान हरबिंदर सिंह संधू की. 60 साल के हरबिंदर सिंह संधू छह एकड़ जमीन पर अलग-अलग तरह शिमला मिर्च (Bell Pepper) उगाते हैं.

Bell Peppers Farming Bell Peppers Farming
निशा डागर तंवर
  • नई दिल्ली ,
  • Jan 13, 2025,
  • Updated Jan 13, 2025, 2:37 PM IST

अक्सर लोगों को लगता है कि खेती में लाखों-करोड़ों कमाना नामुमकिन है. लेकिन अगर सही तरीकों और मेहनत के साथ खेती की जाए तो किसान अच्छी कमाई कर सकते हैं. अच्छी बात यह है कि आज देश में सैकड़ों ऐसे किसान है जो इस बात को साबित कर रहे हैं. आज ऐसे ही एक किसान के बारे में हम आपको बता रहे हैं. हम बात कर रहे हैं पंजाब में होशियारपुर जिले के भीखोवाल गांव के रहने वाले किसान हरबिंदर सिंह संधू की. 

60 साल के हरबिंदर सिंह संधू के पास 35 एकड़ जमीन है और 15 एकड़ जमीन वह पट्टे पर लेते हैं. इसमें से छह एकड़ जमीन पर उन्होंने पॉलीहाउस लगाया है, जिसमें वह अलग-अलग तरह शिमला मिर्च (Bell Pepper) उगाते हैं. इससे उन्हें सालाना लगभग 1 करोड़ रुपये की कमाई होती है और सभी खर्चों को कवर करने के बाद लगभग 50 लाख रुपये का मुनाफा होता है.

आधे एकड़ से की थी शुरुआत 

इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 60 वर्षीय किसान हरबिंदर सिंह संधू, ने 2008 में शिमला मिर्च की खेती शुरू की. उन्होंने प्रयोग के तौर पर सिर्फ आधे एकड़ से शुरुआत की. धीरे-धीरे, उन्होंने शिमला मिर्च की खेती को बढ़ाया और 2015 तक, वह छह एकड़ जमीन पर शिमला मिर्च उगाने लगे. 

उन्होंने इंडियन एक्सप्रेस को बताया, "एक एकड़ पॉलीहाउस स्थापित करने की लागत 40 लाख रुपये थी, जिसमें सरकार 40-50% सब्सिडी प्रदान करती थी." स्ट्रक्चर को समय-समय पर रखरखाव की जरूरत होती है, और पाइप काफी लंबे समय तक चलते हैं, शीट को हर 4-5 साल में बदलना होता है. 

हॉलैंड से मंगवाते हैं बीज 

विदेशी सब्जियों की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसान हरी, पीली और लाल शिमला मिर्च की खेती करते हैं. हॉलैंड से आए बीजों का उपयोग करके, वह जुलाई में नर्सरी शुरू करते हैं और अगस्त के पहले सप्ताह में पौधों की रोपाई करते हैं. पहली फसल 10 नवंबर तक तैयार हो जाती है और पौधे जून तक उपज देते रहते हैं. वह सालाना प्रति एकड़ 150-200 क्विंटल शिमला मिर्च की फसल लेते हैं. 

उनके खेतों में 20 लोगों को स्थायी रोजगार मिला हुआ है, और फसल को पंजाब और जम्मू-कश्मीर में बेचा जाता है. हरबिंदर ने इस मुकाम तक पहुंचने के लिए कड़ी मेहनत की है. उन्होंने पुणे और बेंगलुरु में इस खेती के बारे में सीखा और सभी जरूरी जानकारी के साथ अपनी पॉलीहाउस फार्मिंग को सफल बनाया. 

करते हैं कृषि वानिकी 

हरबिंदर प्राथमिक रूप से शिमला मिर्च उगाते हैं. एक एकड़ में उनके बेटे ने मशरूम की खेती शुरू की है. बाकी जमीन पर वह कृषि वानिकी करते हैं. वह 6-7 साल की सायकल में चिनार और यूकेलिप्टस के पेड़ उगाते हैं, जिससे प्रत्येक एकड़ में 10 लाख रुपये की लकड़ी मिलती है और खर्च के बाद 7-8 लाख रुपये का मुनाफा होता है. आपको बता दें कि हरबिंदर का परिवार बंटवारे के समय पाकिस्तान से यहां आए थे. तब उन्हें खन्ना में जमीन दी गई थी, हालांकि, उनका परिवार बाद में होशियारपुर में बस गया और खेती से जुड़ा हुआ है. 

 

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