प्याज और गन्ने की खेती, सुनने में आपको थोड़ा अजीब लगे लेकिन मध्य प्रदेश के एक किसान को इसी की खेती से लाखों रुपये की आय हो रही है. आईटीआई से पढ़ाई करने के बाद भी राज्य के किसान अजय पटेल ने खेती में हाथ आजमाया और जो कुछ भी उन्होंने किया, आज वह उनके लिए फायदे का सौदा बन गया है. हर साल खेती में अजय को लाखों रुपये का फायदा हो रहा है और अब वह बाकी किसानों को भी प्रेरणा दे रहे हैं. उनकी सफलता की कहानी को राज्य के कृषि विभाग ने तो साझा किया ही है साथ ही साथ कई राज्यों के मीडिया ने भी उसे तवज्जो दी है.
किसान अजय कुमार पटेल, रीवा जिले के मनगवां तहसील के तहत आने वाले गांव मनगंवा के रहने वाले हैं. आज उन्हें प्याज की खेती से अच्छी-खासी इनकम हो रही है. अजय ने लीज पर ली हुई छह एकड़ की जमीन पर न्याज की खेती की है. इस पर करीब 700 क्विंटल प्याज की फसल पैदा हो रही है. अजय इस प्याज को इलाहाबाद भेज देते हैं जिससे उन्हें हर साल लाखों का फायदा होता है. अजय को प्याज की खेती से प्रति वर्ष करीब पांच लाख रुपये तक की आय होती है. अब उनकी चर्चा गांव के हर संपन्न किसान के बीच होने लगी है.
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अजय को खेती में अब अच्छा-खासा अनुभव हो चुका है. ऐसे में वह अब पुराने तरीकों की जगह नए-नए प्रयोग करने के आदी हो चुके हैं. खेती में नए प्रयोगों ने उन्हें नई सफलताओं को हासिल करने में मदद की है. पहले अजय बाजार से प्याज के बीज खरीदते थे. लेकिन ये बीज बहुत ही महंगे मिलते थे. ऐसे में उन्होंने अपनी ही जमीन पर प्याज का बीज तैयार करना शुरू कर दिया. वहीं प्याज की खेती से अलग अजय ने पिछले साल से इसी जमीन पर गन्ने की खेती करनी शुरू कर दी है. फिर राजमा की खेती में भी हाथ आजमाए.
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गन्ने की खेती के बारे में बहुत ज्यादा तकनीकी ज्ञान न होने की वजह से उन्हें बहुत कम फायदा हुआ. अब वह नई तकनीक से गन्ने की खेती में हाथ आजमाने की तैयारी कर रहे हैं. किसान अजय पटेल के पास सिर्फ चार एकड़ की जमीन थी. वह साल 2013 से खेती कर रहे हैं. लेकिन जरूरत पड़ने पर उन्होंने किराए पर जमीन ली थी. वर्तमान समय में अजय के पास 20 एकड़ की जमीन है जो उन्होंने किराए पर ली है. इस जमीन पर अजय प्याज, धान, चना, मसूर, गेहूं समेत कुछ और फसलों की खेती करते हैं.
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अजय ने अपने पिता राजकुमार पटेल की मौत के बाद खेती को अपनाया था. यह फैसला उनके लिए आसान नहीं था. उनके पास खेती का कोई अनुभव नहीं था और ऐसे में उन्हें नहीं मालूम था कि वह कैसे इस दिशा में आगे बढ़ेंगे. उन्होंने एग्रीकल्चर यूनिवर्सिटी के तहत आने वाले कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों से संपर्क किया. खेती की तकनीक के बारे में जानकारी हासिल करने के साथ ही साथ अजय ने आईटीआई और बीएससी की पढ़ाई भी पूरी की. इसी दौरान उन्होंने नौकरी की जगह खेती किसानी में भी मन लगाने का फैसला कर लिया था.