प्रगतिशील मछली पालन किसान भी नए-नए तरीके अपनाकर इस व्यवसाय को मुनाफे का सौदा बना रहे हैं. एक ऐसे ही मछली पालन किसान हैं सुल्तान सिंह, जिन्होंने चार दशकों से भी अधिक समय से मछली पालन के क्षेत्र में काम किया है और भारत का नाम न केवल देश में, बल्कि विदेशों में भी रोशन किया है.
दशकों से कर रहे मछली पालन का काम
सुल्तान सिंह की मछली पालन यात्रा 1982 में शुरू हुई थी, जब उन्होंने अपने गांव की पंचायत के तालाब को ₹20,000 में ठेके पर लिया और मछली पालन शुरू किया. पहली ही कोशिश में उन्हें ₹1,62,000 का फायदा हुआ. यह उनके लिए एक बड़ी सफलता थी और इसने मछली पालन के प्रति उनका आत्मविश्वास और बढ़ाया. सुल्तान सिंह ने पढ़ाई के दौरान ही ठान लिया था कि उन्हें कुछ अलग करना है. और उन्होंने मछली पालन को अपना बिजनेस बनाया. हालांकि, शुरुआत में उनके पिता ने मछली पालन के व्यवसाय को अपनाने से मना कर दिया था. लेकिन सुल्तान सिंह ने अपने बिजनेस को निरंतर मेहनत और प्रयासों से सफल बनाया. समय के साथ, उन्होंने मछली पालन के विभिन्न नए तरीकों को अपनाया और इसका विस्तार किया.
खुद का स्थापित किया हेनरी फार्म
सुल्तान सिंह ने बताया कि जब उसने शुरुआती समय में अपना काम शुरू किया तो उन्हें कोलकाता से मछली का बीज लाना पड़ता था और वह ट्रेन में आता था जिसमें ट्रेन कई बार लेट भी हो जाती थी. इससे उनके व्यापार पर काफी प्रभाव पड़ता था और नुकसान भी झेलना पड़ता था. फिर उन्होंने सोचा कि क्यों ना खुद की बीज की हेचरी लगाई जाए और उन्होंने फिर 1986 में उत्तरी भारत की सबसे पहली मछली के बीच की हेनरी फार्म लगाई. सुल्तान सिंह ने बताया कि मछली के बीज की हेचरी लगाने के बाद उन्होंने कभी भी पीछे मुड़कर नहीं देखा और अब वह हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों में अपना मछली का बीज सप्लाई करते हैं.
सुल्तान सिंह जैसे प्रगतिशील किसान मछली पालन को एक मुनाफे का बिजनेस बना रहे हैं और इसे देश के कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण योगदान मानते हैं. सुल्तान सिंह की तरह, मछली पालन को अपनाने से किसानों को न केवल आर्थिक लाभ मिल सकता है, बल्कि यह उनके जीवन स्तर को भी बेहतर बना सकता है.
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