प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि योजना (पीएम किसान) की 17वीं किस्त आने से पहले केंद्र सरकार इसका मूल्यांकन करेगी. इसके लिए नीति आयोग से जुड़े विकास निगरानी और मूल्यांकन कार्यालय (डीएमईओ) ने इस योजना के मूल्यांकन के लिए बोलियां आमंत्रित की हैं. खास बात यह है कि पीएम किसान योजना के ऊपर केंद्र सरकार हर साल 60,000 करोड़ रुपये खर्च करती है. इस योजना के तहत सीमांत और आर्थिक रूप से कमजोर किसानों को प्रति वर्ष 6 हजार रुपये दिए जाते हैं.
इकोनॉमिक्स टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने बताया कि योजना का आकलन करने का उद्देश्य यह मूल्यांकन करना है कि इस योजना ने किस हद तक किसानों की वित्तीय जरूरतों को पूरा किया है. आखिर पीएम किसान योजना से कृषि आय पर इसका कितना प्रभाव पड़ा है. साथ ही यह समझने की कोशिश की जाएगी कि क्या प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण किसानों की पूर्ति का आदर्श तरीका है.
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अधिकारी ने कहा कि इसके अलावा, हम योजना में राज्य-वार नामांकन की सीमा का मूल्यांकन करने और लाभार्थियों के बहिष्कार और समावेशन की त्रुटियों का आकलन करने की योजना बना रहे हैं. उन्होंने कहा कि योजनाओं के मूल्यांकन की समय अवधि छह महीने होगी. 2022-23 में योजना के 107.1 मिलियन लाभार्थी थे. अधिकारी के अनुसार, योजना के पूर्व और बाद के विश्लेषण के लिए अध्ययन के प्राथमिक घटक की संदर्भ अवधि 2020-21 से 2023-24 तक होगी, जबकि माध्यमिक अध्ययन की संदर्भ अवधि 2017 से 2023-24 तक होगी.
पीएम किसान एक केंद्रीय क्षेत्र की प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) योजना है, जिसके तहत देश भर के सभी भूमिधारक किसान परिवारों को प्रति वर्ष 6000 रुपये की वित्तीय सहायता दी जाती है. ताकि उन किसानों को आर्थिक रूप से सक्षम बनाया जा सके. साथ ही योजना के पैसे से किसान समय पर खाद और बीज भी खरीद पाएं. योजना की राशि 2000 रुपये की तीन किस्तों में हस्तांतरित की जाती है.
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सरकार ने साल 2024-25 में इस योजना के लिए 60,000 करोड़ रुपये निर्धारित किए हैं, जो पिछले वित्तीय वर्ष के बजटीय और संशोधित अनुमान के समान है. योजना के मूल्यांकन के लिए सर्वेक्षण में 24 राज्यों के न्यूनतम 5000 किसानों को शामिल किया जाएगा, जिनमें से शीर्ष 17 राज्यों में लगभग 95 फीसदी पीएम किसान लाभार्थी हैं.