आज से करीब दो दशक पहले राज्य के युवा खेती में बेहतर भविष्य नहीं देख रहे थे, लेकिन समय के बदलते करवटों के साथ सूबे के युवा नौकरी छोड़ खेती से जुड़ रहे हैं. नई तकनीक और सरकारी मदद से खुद के साथ अन्य लोगों को खेती से मोटी कमाई करवा रहे हैं. पटना जिले के बिहटा प्रखंड के विष्णुपुरा गांव के अभिजीत सिंह खेती के साथ समूह में दुकान खोल मोटी कमाई कर रहे हैं. वह कहते हैं कि पूरी जिंदगी पैसा कमाने के बाद भी जीने के लिए अनाज की जरूरत है. तो क्यों न उस अनाज को ही लगाया जाए और इसी से कमाई की जाए.
अभिजीत समय की मांग के अनुसार खेती करते हैं. कभी औषधीय पौधों से खेती शुरू करने वाला किसान आज बागवानी, धान ,गेहूं, बांस, ईख सहित अन्य फसलों की खेती से मोटी कमाई कर रहे हैं. इसके साथ ही लोगों को कृषि से जुड़े विभिन्न क्षेत्रों में प्रशिक्षण देकर खेती के लिए जागरूक कर रहे हैं.
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किसान तक से बातचीत करते हुए अभिजीत सिंह कहते हैं कि 2015 के बाद औषधीय पौधों की खेती छोड़ दिया. उसके बाद खयाल आया की, कोई ऐसी व्यवस्था समूह में की जाए, जिससे महीने का कुछ राशि मिलती रहे. इसी सोच के साथ किसान समूह की मदद से खाद बीज की दुकान खोली. आगे वह कहते है कि उनके समूह में 11 लोग जुड़े हुए हैं, जिन्हें सालाना एक लाख रुपये दुकान से दिया जाता है. साथ ही शुद्ध कमाई का 2 प्रतिशत हिस्सा अलग से समूह के खाते में रख दिया जाता है. इसके अलावा अन्य लोग भी अस्थाई रूप से समूह से जुड़कर कार्य कर रहे हैं.
अभिजीत सिंह 2011 तक भाखड़ा नांगल डैम में एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करते थे. वह कहते हैं कि 13 साल पहले उनकी सैलरी बीस हजार रुपये के आसपास थीी, लेकिन बचपन से ही खेती को नजदीक से देखने की वजह से इससे नाता नहीं टूट पाया और आखिरकार 2011 में नौकरी छोड़ गांव चले आए. यहां आने के बाद कई किसानों की मदद से 16 एकड़ में मेंथा की खेती शुरू की, उसके बाद धीरे-धीरे बागवानी सहित अन्य फसलों की खेती की तरफ रुख किया. आज आम, बांस, केला की खेती से सालाना ढाई लाख से अधिक की कमाई हो जाती है. इसके साथ ही सभी सीजन की खेती करता हूं.
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नौकरी छोड़ने अफसोस होने के सवाल को नकारते हुए सिंह कहते हैं कि अगर वह आज नौकरी कर रहे होते हो उनकी सैलरी पचास हजार रुपये से अधिक नहीं होती, लेकिन खेती में आने के बाद उन्हें पैसों के साथ अलग पहचान मिली है. वहीं विभिन्न संस्थानों से कृषि से जुड़ा प्रशिक्षण लेकर अन्य लोगों को भी आधुनिक खेती के लिए प्रशिक्षित कर रहे हैं.