आज के समय में दूध का इस्तेमाल लगभग हर घर में किया जाता है. खुद को हेल्दी रखने के लिए लोग दूध या इससे बने उत्पादों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन दूध में भी लोग अलग-अलग तरीके के दूध का इस्तेमाल करना पसंद करते हैं. जैसे फुल फैट, टोंड, गाय का दूध, भैंस का दूध आदि. वहीं दूध की A1 और A2 वेरायटी को भी लोग काफी पसंद करते आ रहे हैं. यही वजह है कि किसान इन दोनों तरह के दूध से अपनी आय बढ़ा रहे हैं. आज हम एक ऐसे ही किसान की बात करेंगे जो A2 दूध से बेहतर कमाई कर रहे हैं.
इसी कड़ी में हम गोवा के एक किसान की बात करेंगे जो पेरनेम के हस्सापुर के रहने वाले हैं. इस किसान का नाम दिलीप पुंडलिक नरुलकर है. उनके लिए A2 दूध उत्पादन काफी फायदेमंद साबित हो रहा है. वहीं गोवा के अधिकांश किसानों की बात करें तो उनके लिए खेती करना मुश्किल भरा काम है. ऐसे में दिलीप पुंडलिक नरुलकर A2 मिल्क उत्पादन कर अच्छी कमाई कर रहे हैं. नरुलकर का पूरा फोकस A2 दूध पर है, जिसकी कीमत बाकी दूध से लगभग दोगुनी है.
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A2 दूध की मांग कुछ लोगों के बीच काफी बढ़ रही है. यह एक ऐसी वेरायटी है जिसके ग्राहक कम हैं क्योंकि यह महंगा है. A2 दूध को केवल वही लोग खरीदते हैं जो A2 और इसकी खासियत के बारे में जानते हैं. नरुलकर बताते हैं कि A2 दूध भारतीय गाय की नस्लों जैसे गिर, सेवल (हरियाणा), राठी, थारपारकर (राजस्थान) और गोवा की नस्ल श्वेता कपिला से आता है. यह दूध डेयरी फार्मों में पाली जाने वाली जर्सी या हाइब्रिड गायों के दूध से अलग है. A2 दूध में जर्सी या संकर पशुओं में पाए जाने वाले बीटा-कैसिम प्रोटीन नहीं होते. स्वाद में यह मीठा, पतला होता है और इसमें पारंपरिक पैकेज्ड दूध में पाई जाने वाली कोई खास दूधिया गंध नहीं होती है. उन्होंने बताया कि राज्य में बहुत कम डेयरी किसान हैं जो A2 दूध का उत्पादन करते हैं, क्योंकि उत्पादन में बहुत अधिक लागत आती है.
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नरुलकर अपने नरुलकर रांच ब्रांड नाम से A2 दूध 120 रुपये प्रति लीटर की दर से बेचते हैं. उनके A2 पनीर की कीमत 1,000 रुपये प्रति किलोग्राम और A2 घी की कीमत 3,500 रुपये प्रति किलोग्राम है. नरुलकर रांच में A2 दूध का उत्पादन चार डेयरी किसानों द्वारा किया जाता है, जो हर दिन लगभग 70-80 लीटर दूध जुटाते हैं. "एक किसान द्वारा A2 दूध को जुटाना प्रैक्टिकल नहीं है क्योंकि हम में से प्रत्येक के पास बहुत कम गायें हैं. इसका बेहतर विकल्प यही है कि एक समूह बनाया जाए और उत्पादन बढ़ाया जाए," वे कहते हैं.
नरुलकर अपनी कमाई को बढ़ाने के लिए A2 दूध उत्पादन को बढ़ाकर 150 लीटर हर दिन करना और आने वाले महीनों में मडगांव और आस-पास के इलाकों में आपूर्ति की सीमा बढ़ाना है. वह इको-टूरिज्म में शामिल होना चाहते हैं, जिससे उन्हें अतिरिक्त आय का स्रोत मिलेगा. वह मछलीपालन में भी आगे बढ़ रहे हैं और उन्होंने मीठे पानी की तिलापिया मछली का फार्म तैयार किया है. इससे उन्हें अच्छा मुनाफा मिल रहा है.
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भारतीय नस्ल की गायों जैसे साहीवाल, गिर, लाल सिंधी आदि से मिलने वाला दूध A2 दूध की श्रेणी में आता है. इस दूध में A2 कैसिम प्रोटीन पाया जाता है, जिसके कारण इसका नाम A2 दूध रखा गया है. यह दूध उन भैंसों, बकरियों और भेड़ों से मिलने दूध की तरह होता है जो अपने बछड़ों को दूध पिलाती हैं.
A2 दूध पीने से कई स्वास्थ्य लाभ मिलते हैं, क्योंकि यह हमारी इम्युनिटी को बढ़ाता है. A2 दूध में प्रोलाइन की मौजूदगी बीटा कैसोमोर्फिन-7 को हमारे शरीर में पहुंचने से रोकने में मदद करती है, साथ ही ऑटिज्म और न्यूरो डिसऑर्डर जैसी पुरानी बीमारियों से भी बचाती है. A2 प्रकार के दूध में ओमेगा-3 फैटी एसिड होता है जो कोलेस्ट्रॉल के स्तर को कम करने में मदद करता है. इसके अलावा, इसमें मौजूद पोटेशियम ब्लड शुगर के स्तर को नियंत्रित करने में भी मदद करता है. इस प्रकार के दूध में विटामिन ए होता है, जो आपकी आंखों के स्वास्थ्य के लिए फायदेमंद होता है. यह आंखों की रोशनी बढ़ाता है और मोतियाबिंद जैसी समस्याओं से बचाता है.