महाराष्ट्र में किसानों के सामने जलवायु परिवर्तन की वजह से कीटों, खरपतवारों और बेमौसम बारिश के अलावा कई बड़ी चुनौतियां हैं. इन चुनौतियों से उबरकर किसान अच्छी उपज पाने के लिए लगातार खेतों में नए-नए प्रयोग कर रहे हैं.
पुणे के रहने वाले किसान अक्षय फर्राटे ने भी अपने खेतो में ऐसा ही कुछ किया है. उन्होंने यूट्यूब से नई तकनीक सीखी जिसे मल्चिंग कहते हैं. इसके जरिए प्याज की खेती की. जिससे उन्हें सामान्य खेती के मुकाबले ज्यादा फायदा मिला. फर्राटे ने बताया कि उन्होंने मल्चिंग पेपर तकनीक से पहली बार प्याज की खेती की है.
फर्राटे ने बताया कि इस तकनीक से ज्यादातर किसान सिर्फ फल की खेती करते रहे हैं, लेकिन पहली बार मैंने प्याज़ की खेती की है. अब दूर-दूर से किसान उनके पास इसकी जानकारी लेने आते हैं. किसान अक्षय ने बताया कि मल्चिंग विधि से खेती करने से खरपतवार नियंत्रण होता है. उसे खत्म करने के लिए कीटनाशकों पर होने वाला खर्च कम होता है और पौधे लंबे समय तक सुरक्षित रहते हैं.
अक्षय फर्राटे ने अपने दो एकड़ जमीन में प्याज की खेती की है. जिसमें लगभग 50 हजार रुपए तक का खर्च आया है, जबकि अगर नॉर्मल तरीके से खेती करते हैं तो उसमें प्रति एकड़ 70 से 80 हजार का खर्च आता है. किसान फर्राटे का कहना है कि मल्चिंग पेपर तकनीक से प्याज की खेती करने पर प्याज़ की क्वालिटी भी अच्छी होती है और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है.
अमूमन एक एकड़ में प्याज़ की खेती करने पर कम से कम 8 से 9 टन उत्पादन मिलता है. लेकिन इस बार मुझे मल्चिंग पेपर तकनीकी से खेती करने पर 17 से 18 टन का उत्पादन मिलने का अनुमान है. महाराष्ट्र क्षेत्रफल और उत्पादन के मामले में अग्रणी प्याज उत्पादक राज्यों में से एक है. महाराष्ट्र में देश का 40 प्रतिशत प्याज पैदा होता है.
महाराष्ट्र में नासिक, पुणे, सोलापुर, जलगांव, धुले, अहमदनग और सतारा जिले प्याज की खेती के लिए प्रसिद्ध हैं. मराठवाड़ा, विदर्भ और कोंकण में भी प्याज की खेती की जाती है, लेकिन नासिक जिला न केवल महाराष्ट्र में बल्कि पूरे भारत में प्याज की खेती के लिए प्रसिद्ध है. यहां 65 प्रतिशत प्याज रबी सीजन में पैदा होता है.