सरकार ने एक बार फिर गेहूं खरीद में नया कीर्तिमान स्थापित किया है. 8 मई 2025 तक प्रदेश में 1.73 लाख से अधिक किसानों से 9.26 लाख मीट्रिक टन गेहूं की खरीद हो गई है, वहीं पिछले वर्ष इस अवधि में लगभग 6.88 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद हुई थी. इस वर्ष अब तक 1,73,381 किसानों से 9.26 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीद हुई है. रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए कुल 4,46,725 किसानों ने पंजीकरण करा लिया है. अब तक ₹2,045 करोड़ रुपये से अधिक की राशि किसानों के बैंक खातों में प्रत्यक्ष लाभ अंतरण (डीबीटी) के माध्यम से भेजी जा चुकी है.
उप्र के कृषि निदेशक और विशेषज्ञ डॉ जितेंद्र कुमार तोमर ने बताया कि रबी विपणन वर्ष 2025–26 सीजन के लिए गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) ₹2,425 प्रति क्विंटल निर्धारित किया गया है, जिससे किसानों को उचित और समय पर पारिश्रमिक सुनिश्चित हुआ है. गेहूं खरीद 17 मार्च से शुरू हुआ है. यह खरीद 15 जून तक जारी रहेगी. प्रदेश भर में 5,852 खरीद केंद्रों के जरिये यह खरीद चल रही है.
बता दें कि उत्तर प्रदेश देश के प्रमुख गेहूं उत्पादक राज्यों में शामिल है. यहां की गंगा-यमुना की उपजाऊ घाटी में गेहूं की खेती बड़े पैमाने पर होती है. यही वजह है कि सरकार गेहूं खरीद को लेकर विशेष सतर्कता बरत रही है ताकि किसानों को मेहनत का पूरा लाभ मिल सके.
इससे पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार ने रबी सीजन के गेहूं खरीद अभियान के बीच किसानों के हित में एक और बड़ा फैसला लिया था. अब किसान यदि 100 कुंतल से अधिक गेहूं भी बेचते हैं तो उन्हें सत्यापन की अनिवार्यता से गुजरना नहीं पड़ेगा. सरकार ने सत्यापन की बाध्यता समाप्त कर दी है, जिससे गेहूं बेचने में हो रही दिक्कतों का समाधान हो गया है.
प्रदेश सरकार का दावा है कि इस वर्ष गेहूं खरीद के आंकड़े पिछले वर्षों से बेहतर हैं और इससे साफ है कि किसान सरकार की नीतियों से संतुष्ट हैं. आने वाले दिनों में सरकार किसानों को उनके दरवाजे तक सुविधाएं पहुंचाने के लिए तकनीक आधारित व्यवस्था और सुदृढ़ करने की योजना पर भी काम कर रही है. यह कदम योगी सरकार की किसान केंद्रित सोच और कार्यशैली का एक और उदाहरण है, जो बताता है कि सरकार किसानों की समस्याओं को गंभीरता से समझती है और उन्हें दूर करने के लिए लगातार प्रयासरत है.
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