प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा कंपनियां फसली नुकसान की स्थिति में मुआवजे का पैसा डायरेक्ट बेनेफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से किसानों के खाते में जमा कराती हैं. उत्तर प्रदेश में फसल बीमा योजना के तहत काम कर रही कंपनियों का टेंडर 31 मार्च को खत्म हो जाएगा. अप्रैल से खरीफ फसलों की बुवाई के लिए नई कंपनी का चयन अभी नहीं हो सका है. ऐसे में किसानों की खरीफ फसलों की बुवाई अपने जोखिम पर ही करना होगा. वही प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना धारक किसान संशय की स्थिति में हैं. वर्ष 2022 में खरीफ फसलों को बारिश और ओले से नुकसान पहुंचा था. अब तक बीमा कंपनियों के द्वारा 597 करोड़ रुपये का भुगतान प्रदेश के किसानों के खातों में सीधे डीबीटी के माध्यम से जमा किया जा चुका है.
उत्तर प्रदेश में कुल 4 बीमा कंपनियां नामित हुई थीं जिसके अंतर्गत यूनिवर्सल सोपो, एचडीएफसी, एग्रीकल्चर इंश्योरेंस, इफको टोकियो के नाम हैं. इन सभी कंपनियों का टेंडर 31 मार्च 2023 तक है. बीमा कंपनियों को एक साल के लिए चुना जाता है, लेकिन कोरोना के चलते बीमा कंपनियों को तीन साल के लिए टेंडर मिला था. वही फसल बीमा धारक किसानों को मौसम से नुकसान की स्थिति में बीमा कंपनियां फसल की क्रॉप कटिंग के आधार पर क्षतिपूर्ति करती हैं.
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मौसम का रूप देखकर किसान असमंजस की स्थिति में है. रबी के अंतर्गत बोई जाने वाली गेहूं और सरसों की फसल को बारिश और ओलावृष्टि ने बहुत नुकसान पहुंचाया है. सर्वे के बाद फसल बीमा धारक किसानों के खाते में क्षतिपूर्ति की राशि उनके खाते में भेजी जाएगी. ऐसी स्थिति में किसान बीमा कंपनियों के टेंडर खत्म होने से परेशान हैं.
वर्ष 2022 में खरीफ के अंतर्गत बोई जाने वाली धान और दलहन की फसलों को नुकसान पहुंचा था. इस स्थिति में फसल बीमा कंपनियों के द्वारा प्रदेश के 900000 से ज्यादा किसानों को क्षतिपूर्ति भी की गई. 2022-23 में खरीफ फसल के लिए 2135000 बीमा धारक किसान थे. वही 2022- 23 में रबी फसल के अंतर्गत 1950000 बीमा धारक किसान हैं. कृषि विभाग में निदेशक सांख्यिकी एवं फसल बीमा सुमिता सिंह ने बताया कि फसल बीमा योजना की गाइडलाइन केंद्र से आती है. जल्द ही बीमा कंपनी का भी चयन हो जाएगा.
वर्ष 2022 में खरीफ के अंतर्गत बोई जाने वाली फसल के लिए 21.37 लाख किसानों ने फसल बीमा कराया था और कंपनियों ने उनसे 781 करोड़ रुपये का प्रीमियम भी वसूला. अक्टूबर महीने में बारिश से धान की फसल को सर्वाधिक क्षति हुई थी जिसके चलते बीमित किसानों ने दावे किए थे. अभी तक खरीफ 2022 के लिए फसल बीमा धारक किसानों को कंपनियों के द्वारा 597 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की राशि भेजी जा चुकी है.