पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने सहकारी बैंकों के डिफॉल्टरों से जल्द से जल्द ऋण वसूली करने के निर्देश दिए हैं ताकि कृषि और उससे जुड़े क्षेत्रों के लिए कर्ज देने में कोई रुकावट न आए. मुख्यमंत्री ने सहकारी बैंकों की कार्यप्रणाली की समीक्षा करते हुए कहा कि डिफॉल्टर ऐसे लोग हैं जो समय पर अपना कर्ज नहीं लौटाते और इसी कारण बैंक दूसरों को वित्तीय सहायता नहीं दे पाते.
भगवंत मान ने बताया कि छोटे और मझोले किसान समय पर अपने ऋण लौटाते हैं, जबकि बड़े किसान अक्सर डिफॉल्ट कर देते हैं. यह बैंकिंग सिस्टम के लिए एक गंभीर समस्या है. सरकारी कर्मचारी भी अगर सहकारी बैंकों से लोन लेते हैं, तो उन्हें भी समय पर अपनी किश्तें चुकानी चाहिए. सरकार ने साफ कर दिया है कि इस मामले में कोई ढील नहीं दी जाएगी.
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CM ने कहा कि फसल ऋण की वसूली केवल 65% तक हो पाई है, जो कि सहकारी बैंकों की सेहत पर बुरा असर डाल रही है. सहकारी बैंक किसानों को समय पर कर्ज लौटाने पर 3% ब्याज में छूट देते हैं. फिर भी, कई किसान ऋण नहीं लौटाते जिससे न केवल उन्हें अधिक ब्याज देना पड़ता है, बल्कि भविष्य में वे किसी भी लाभ या कर्ज से वंचित रह सकते हैं.
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सरकार के अनुसार, राज्य के किसानों को हर साल लगभग ₹8,000 करोड़ का फसल ऋण सहकारी बैंकों के ज़रिए 3,523 सहकारी समितियों के माध्यम से दिया जाता है. यह ऋण 7% की ब्याज दर पर मिलता है और समय पर चुकाने पर 3% की छूट भी दी जाती है. लेकिन अगर ऋण समय पर नहीं चुकाया गया, तो ब्याज दर बढ़कर 9.5% हो जाती है.
फसल ऋण की वसूली का बेहतरीन रिकार्ड रखने वाली प्राथमिक कृषि सहकारी समितियों (पैक्स) को प्रोत्साहित करने के लिए मुख्यमंत्री ने विभाग को इन सहकारी समितियों को विशेष रूप से सम्मानित करने के निर्देश दिए ताकि इन समितियों को सहकारी क्षेत्र में रोल मॉडल के रूप में उभारा जा सके. बैठक के दौरान बताया गया कि धूरी सर्कल में पड़ती सहकारी समितियों की ऋण वसूली दर 99 प्रतिशत है और धूरी सर्कल एक मिसाल बनकर उभरा है. भगवंत सिंह मान ने इन समितियों को सम्मानित करने के लिए एक समारोह आयोजित करने के लिए भी कहा.
नाबार्ड द्वारा वर्ष 2024-25 के दौरान रियायती पुनर्वित्त ऋण की वार्षिक सीमा में कटौती पर चिंता व्यक्त करते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि पंजाब देश की खाद्य सुरक्षा में सबसे अधिक योगदान देता है और ऋण सीमा में कटौती से कृषि क्षेत्र पर बुरा प्रभाव पड़ा है. भगवंत सिंह मान ने कहा कि वह वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए ऋण सीमा को 3000 करोड़ रुपये तक बहाल करने के लिए नाबार्ड के चेयरमैन के समक्ष यह मामला उठाएंगे.