अपात्र किसानों द्वारा ली गई प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि स्कीम (PM-Kisan) की रकम की वसूली सरकार के लिए मुसीबत बनती जा रही है. घोषणाएं तो बहुत हुई हैं, किसानों को डराया भी गया है, लेकिन रिकवरी नाम मात्र की ही हुई है. अपात्र किसान सरकार को पैसा वापस करने के लिए तैयार नहीं दिख रहे हैं. ऐसे किसानों का कहना है कि सरकार ने पहले वेरिफिकेशन करके क्यों नहीं उन्हें योजना से बाहर निकाला. दूसरी ओर, अधिकारी भी रिकवरी पर ज्यादा जोर नहीं दे रहे हैं. बस उनका जोर यह है कि अब किसी भी सूरत में अपात्रों को पैसा न मिले. जिसके लिए सरकार ने साफ निर्देश दे रखे हैं.
साल 2022 की शुरुआत में पता चला था कि देश के 54 लाख अपात्रों ने 4352 करोड़ रुपये की रकम निकाली थी, लेकिन अब तक सिर्फ 335 करोड़ रुपये की ही वसूली हो पाई है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार 22 मार्च 2022 तक अपात्र किसानों से सरकार मात्र 297 करोड़ रुपये ही वसूल पाई थी. जिसमें से 180 करोड़ रुपये से अधिक की रिकवरी अकेले तमिलनाडु सरकार ने की थी, क्योंकि वहां पर इसका बड़ा स्कैम हुआ था. तब से अब तक सिर्फ 38 करोड़ रुपये की ही और वसूली हो पाई है. सरकार सिर्फ अपात्र किसानों से अपील कर रही है कि वो अवैध रूप से लिया गया पैसा वापस जमा करवा दें, लेकिन उन पर वापसी के लिए जोर नहीं डाल रही है. अब चुनावी सीजन में भी रिकवरी बढ़ने की संभावना नहीं है. क्योंकि अगर अब रिकवरी पर जोर दिया गया तो नाराजगी बढ़ेगी.
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योजना से अपात्र किसानों को बाहर निकालने के लिए सरकार ने लैंड रिकॉर्ड का वेरिफिकेशन शुरू कर दिया है. पांच फीसदी किसानों का फिजिकल वेरिफिकेशन जरूरी किया गया है. आधार प्रमाणीकरण अनिवार्य कर दिया गया है. ई-केवाईसी जरूरी हो गई है. ग्राम सभा की बैठक में लाभार्थियों की सूची का ऑडिट करने और उसे पंचायतों में डिस्प्ले करने के भी आदेश दिए गए हैं. ताकि लोगों को अपात्र किसानों का पता चले. इसकी वजह से जहां पहले 11.5 करोड़ किसानों को इस योजना का लाभ मिल रहा था वहीं पर अब लाभार्थी सिर्फ 8.5 करोड़ किसान ही रह गए हैं. सरकार की कोशिश है कि अब कोई भी अपात्र किसान योजना का फायदा न उठा पाए.
पीएम किसान योजना में अवैध रूप से पैसा निकालने वालों के खिलाफ सबसे बड़ी कार्रवाई तमिलनाडु में की गई थी. बताया गया है कि यहां अपात्र किसानों के आवेदन को मंजूरी देने के लिए 123 व्यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था. जिसमें तमिलनाडु कृषि विभाग के 8 अधिकारी भी शामिल थे. राज्य के 16 जिलों में एफआईआर दर्ज की गई है. इस कार्रवाई में अपात्र लाभार्थियों से 180 करोड़ रुपये की वसूली की गई थी. पीएम-किसान योजना के तहत लाभार्थी की पहचान करने तथा पोर्टल पर उनका सही और सत्यापित डेटा अपलोड करने की जिम्मेदारी संबंधित राज्य सरकारों की होती है.
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