देश में माइक्रो इरीगेशन का दायरा बढ़ाने के लिए बुधवार को कृषि और किसान कल्याण विभाग की ओर से चाणक्यपुरी स्थित एक होटल में 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' विषय पर एक राष्ट्रीय कार्यशाला का आयोजन किया गया. इसमें बताया गया कि 2015-16 से अब तक माइक्रो इरीगेशन के तहत 78 लाख हेक्टेयर क्षेत्र को कवर किया गया है, जो कि पूर्व के आठ वर्षों के दौरान कवर किए गए क्षेत्र से लगभग 81 फीसदी अधिक है. माइक्रो इरीगेशन कोष के प्रारंभिक कोष को 5,000 करोड़ से बढ़ाकर दो गुना कर दिया गया है. कार्यशाला में केंद्र सरकार, राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों के विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के प्रतिभागी, सिंचाई उद्योग, जल प्रबंधन क्षेत्र में काम करने वाले स्टार्टअप और किसान उत्पादक संगठन के प्रतिनिधि उपस्थित रहे.
इसकी शुरुआत कृषि सचिव मनोज आहूजा ने की. उन्होंने 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना को लागू करने में टेक्नोलॉजी को अपनाने और माइक्रो इरीगेशन कवरेज को बढ़ाने पर जोर दिया. ताकि पानी की बचत हो. साथ ही देश की खाद्य और पोषण सुरक्षा तथा किसानों की आय में वृद्धि सुनिश्चित हो. कृषि और विशेष रूप से वर्षा सिंचित क्षेत्रों में जल उपलब्धता में वृद्धि की जा सके. कृषि अनुसंधान एवं शिक्षा विभाग के सचिव डॉ. हिमांशु पाठक ने भी उद्घाटन सत्र को संबोधित किया. उन्होंने सभी प्रतिभागियों से आग्रह किया कि वे कृषि क्षेत्र में पानी के उपयोग को कम करने के लिए बड़े पैमाने पर माइक्रो इरीगेशन को अपनाने का प्रयास करें.
इसे भी पढ़ें: Mandi Rates: मूंगफली के भाव में आया जबरदस्त उछाल, जानिए देश की प्रमुख मंडियों में दाम का हाल
कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव फ्रेंकलिन एल खोबंग ने 'पर ड्रॉप मोर क्रॉप' योजना में अब तक हुई प्रगति के बारे में विस्तार से बताया. उन्होंने कहा कि मंत्रालय देश के सभी राज्यों में 2015-16 से इस योजना को लागू कर रहा है. जो माइक्रो इरीगेशन अर्थात ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई प्रणाली के माध्यम से खेत स्तर पर जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है. सरकार कृषि क्षेत्र में पानी की उपलब्धता बढ़ाने और इस प्रकार टिकाऊ कृषि और किसानों की आय पर ध्यान केंद्रित कर रही है. वर्ष 2018-19 के दौरान नाबार्ड के साथ 5000 करोड़ रुपये के कोष के साथ एक माइक्रो इरीगेशन कोष बनाया था.
संयुक्त सचिव फ्रैंकलिन एल खोबंग ने योजना के प्रभावी कार्यान्वयन के लिए संशोधित दिशा निर्देशों के मसौदे पर हितधारकों के साथ चर्चा की. चर्चा के दौरान, उन्होंने योजना के सफल कार्यान्वयन में विभिन्न हितधारकों की भूमिका पर प्रकाश डाला. उन्होंने कार्यान्वयन प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने और योजना के उद्देश्यों को प्राप्त करने में माइक्रो इरीगेशन उद्योगों की भूमिका और राज्य सरकारों द्वारा कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया.
कार्यक्रम के दौरान, आंध्र प्रदेश, गुजरात, राजस्थान, महाराष्ट्र और तमिलनाडु राज्यों की पांच ग्राम पंचायतों को उच्च माइक्रो इरीगेशन अपनाने और जल प्रबंधन क्षेत्र में उत्तम प्रयासों के लिए सम्मानित किया गया. इसके अलावा, माइक्रो इरीगेशन में अग्रणी राज्यों ने माइक्रो इरीगेशन कवरेज और किसानों के बीच उनकी लोकप्रियता को बढ़ाने के लिए अपने राज्यों में अपनाई जा रही परिपाटियों और नवीन तरीकों को साझा किया.
जलशक्ति मंत्रालय के विशेषज्ञों ने सिंचित कमांड में माइक्रो इरीगेशन को शामिल करने की आवश्यकता और रणनीतियों के साथ-साथ भू-जल प्रबंधन पर जोर दिया. नाबार्ड के प्रतिनिधि ने देश में माइक्रो इरीगेशन के विस्तार के लिए उपलब्ध विभिन्न वित्तपोषण विकल्पों के बारे में विस्तार से बताया. माइक्रो इरीगेशन उद्योग के सदस्यों ने इस राष्ट्रीय प्राथमिकता कार्यक्रम में सरकार द्वारा किए जा रहे प्रयासों के लिए अपना सक्रिय समर्थन व्यक्त किया.
इसे भी पढ़ें: Wheat Production: इस साल भारत में कितना पैदा होगा गेहूं, सरकार ने दी पूरी जानकारी