PMMSY: रोहतास जिले में बन रहा 100 टन क्षमता का फिश फीड प्लांट, लेकिन अभी तक नहीं मिला सरकारी अनुदान

PMMSY: रोहतास जिले में बन रहा 100 टन क्षमता का फिश फीड प्लांट, लेकिन अभी तक नहीं मिला सरकारी अनुदान

रोहतास जिले के बिक्रमगंज में महिला किसान संजू कुमारी के द्वारा पी.एम.एम.एस.वाई योजना के तहत 100 टन क्षमता वाली वृहद फिश फीड मिल का निर्माण किया जा रहा है, लेकिन 6 महीने के बाद भी उनके खाते में अनुदान की राशि नहीं आई है. जबकि फीड मिल के निर्माण का अस्सी प्रतिशत काम पूरा हो चुका है. 

महिला किसान संजू कुमारी के द्वारा पी.एम.एम.एस.वाई योजना के तहत वृहद फिश फीड मील का निर्माण किया जा रहा है. फोटो -किसान तक महिला किसान संजू कुमारी के द्वारा पी.एम.एम.एस.वाई योजना के तहत वृहद फिश फीड मील का निर्माण किया जा रहा है. फोटो -किसान तक
अंक‍ित कुमार स‍िंह
  • PATNA,
  • Jul 13, 2023,
  • Updated Jul 13, 2023, 12:40 PM IST

बिहार के रोहतास जिले के काराकट प्रखंड की मोहनपुर गांव की रहने वाली संजू कुमारी और उनके पति अरविंद कुमार की शाहबाद एरिया में मछली पालन के क्षेत्र में अच्छी पहचान है. उनकी इस सफलता में राज्य सरकार व केंद्र सरकार की योजनाओं की खास भूमिका रही है. इस क्षेत्र में आगे कदम बढ़ाते हुए ये दंपति बिहार सरकार की पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग की मदद से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत वृहद फिश फीड मिल का निर्माण कार्य करवा रहा है. लेकिन अभी तक इस योजना से जुड़ी सरकारी अनुदान की राशि इनको नहीं मिल पाई है. अरविंद कुमार सिंह ने किसान तक से बात करते हुए कहा कि 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाले फिस फीड के प्लांट का निर्माण कार्य 80 प्रतिशत तक पूरा हो चुका है. लेकिन अभी तक सरकारी स्वीकृत के बाद भी अनुदान की राशि नहीं मिली है. पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मो. आफाक आलम के कार्यालय से बताया गया कि अगर लाभार्थी को अनुदान की राशि नहीं मिली है तो इसकी जांच करवाई जाएगी. साथ ही जल्द से जल्द राशि देने का प्रयास किया जाएगा. 

बिहार का मछली उत्पादन में 9वां स्थान है. सूबे में जलीय क्षेत्रों में व्यवसाय को एक बड़े पैमाने तक बढ़ाया जा सके, इसको लेकर केंद्र सरकार राज्य सरकार की मदद से प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना (PMMSY) शुरू की गई है. जिसका उद्देश्य मछली पालन व्यवसाय से जुड़े लोगों की आय में वृद्धि करने के साथ ही उनके जीवन स्तर में सुधार करना है. भारत सरकार के द्वारा मछली पालन के क्षेत्र में अब तक की चलाई जाने वाली योजनाओं में सबसे बड़ी योजना है. इसी के तहत केंद्र सरकार, राज्य सरकार के जरिये 100 टन प्रतिदिन क्षमता वाले वृहद फिस फीड निर्माण के लिए अनुदान दे रही हैं. 

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फिश फीड मिल बनने के बाद दूसरे राज्यों पर निर्भरता होगी कम

संजू कुमारी कहती हैं कि 2017 से पहले उनकी पहचान हाउस वाइफ के रूप में थी. लेकिन पिछले पांच साल से बिहार सरकार की पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के सहयोग से मछली व्यवसायी के तौर पर अलग पहचान मिली है. करीब सात एकड़ में वे मछली पालन और बच्चा तैयार करती हैं. इससे अच्छी कमाई हो जाती है. आगे वह बताती हैं कि अब फीड मिल बनने के बाद काफी संख्या में लोग मछली पालन के व्यवसाय से जुड़ेंगे. साथ ही दूसरे राज्यों पर निर्भरता कम होगी.  

इनके पति अरविंद कुमार सिंह कहते हैं कि फीड मिल तैयार होने के बाद काफी संख्या में लोगों को रोजगार मिलेगा. इसके साथ ही इससे जुड़ी अन्य छोटे उद्योग को भी बढ़ावा मिलेगा. फिश फीड मील तैयार होने के बाद से प्रतिदिन करीब 100 टन  फिस फीड तैयार होगा. वहीं सूबे में हाल के समय  में फिश फीड आंध्र प्रदेश,बंगाल, छतीसगढ़ से आ रहा है. 

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अस्सी प्रतिशत काम पूरा होने के बाद भी नहीं मिली अनुदान राशि 

रोहतास जिले के बिक्रमगंज पुरंदपुर में करीब दो एकड़ में वृहद फीड मिल का निर्माण कार्य प्रगति पर है. जिसकी इकाई लागत करीब 650 लाख रुपये है. सरकार के द्वारा 2020-21 में प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के तहत वृहद फिश फीड मिल का निर्माण करने की स्वीकृति संजू कुमारी को मिली. वहीं संजू कुमारी के पति अरविंद कुमार कहते हैं कि केंद्र और राज्य सरकार की मदद से उन्हें इस योजना का लाभ मिला है. कई बार अधिकारी निर्माण कार्य का निरीक्षण भी कर चुके हैं. लेकिन अभी तक किस वजह से अनुदान की राशि नहीं मिल पाई है, यह पता नहीं चल पा रहा है. जबकि मत्स्य विभाग के अधिकारियों ने जल्द से जल्द अनुदान की राशि देने की बात कह रहे हैं.  

फिश फीड मील के निर्माण कार्य का मत्स्य अधिकारी कर चुके हैं निरीक्षण. फोटो-किसान तक

6 महीने पहले उप मत्स्य निदेशक के द्वारा अनुदान विमुक्त करने के संबंध में अधिकारियों से स्पष्टीकरण भी मांगा जा चुका है. इस विषय पर पशु एवं मत्स्य संसाधन विभाग के मंत्री मो आफाक आलम के कार्यालय के द्वारा बताया गया कि लाभार्थी को अनुदान की राशि अभी तक नहीं दी गई है, तो उसकी जांच करवाई जाएगी. साथ ही अनुदान राशि निर्गत कराने की प्रक्रिया को सरल बनाने का प्रयास किया जाएगा.

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