Kushinagar Nagar News: भगवान बुद्ध के महापरिनिर्वाण की धरती कुशीनगर, कभी इसी धरती से सत्य और अहिंसा के संदेश से दुनिया का बड़ा हिस्सा आलोकित हुआ था. अब उसी धरती से उपजे मसालों की खुश्बू शुरू में स्थानीय और बाद में देश-दुनिया में रहने वाले हर भारतीय के किचन के भोजन की लज्जत बढ़ाएंगे. अब इसमें बहुत पहले से कुशीनगर में होने वाली हल्दी का तो योगदान होगा ही, जीरा, सौंफ, मंगरैल, सौंफ और अजवाइन की खेती इसका दायरा बढ़ाएंगे. इस बावत यूपी सरकार पहल भी कर चुकी है.
राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र अजमेर की मदद से इस साल रबी की फसलीय सीजन में सीमित संख्या में कुछ किसानों के खेतों में मसाले की कुछ प्रजातियों की खेती शुरू होगी. कृषि विज्ञान केंद्र कुशीनगर के प्रभारी अशोक राय के अनुसार कुशीनगर में हल्दी की खेती की परंपरा पुरानी है. कुशीनगर और आसपास की जलवायु बीजीय मसालों के लिए भी अनुकूल है. इसलिए यहां इसकी अच्छी संभावना है. यहां के किसान भी जागरूक हैं. इसलिए अपेक्षाकृत अधिक लाभ वाले मसालों की खेती की संभावना और बेहतर हो जाती है.
किसानों के बीच टाटा ट्रस्ट और अजीमजी प्रेमजी फाउंडेशन की मदद से कई वर्षों से किसानों के बीच हल्दी की खेती पर फोकस होकर काम करने वाले सस्टेनेबल ह्यूमन डेवलपमेंट के बीएम त्रिपाठी मसालों की खेती के लिए भी राष्ट्रीय बीजीय मसाला अनुसंधान केंद्र से भी कोऑर्डिनेट कर रहे हैं. अनुसंधान केंद्र का भी मेथी, सौंफ, जीरा और अजवाइन के फ्लेवर और औषधीय गुणों के कारण इनके प्रसंस्करण पर खासा जोर है.
इनको मिलेट के साथ मिलाकर और पौष्टिक बनाया जा सकता है. कालांतर में कुशीनगर के किसानों को भी अगर मसाले की खेती रास आई तो उनके लिए भी ये सारी संभावनाएं उपलब्ध होंगी. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ किसानों के हित के प्रति जिस तरह प्रतिबद्ध हैं उसमें कोई एफपीओ खेती से लेकर प्रसंस्करण इकाई लगाने और मार्केटिंग की अगुआई कर सकता है.
भारत को मसालों की धरती भी कहा जाता है. पुर्तगाली जब पहली बार भारत आए तो उनका मूल उद्देश्य भारतीय मसालों के कारोबार से कमाई करना ही था. भारत में करीब 18 लाख हेक्टेयर जमीन पर मसालों की खेती होती है. जीरा गुजरात और राजस्थान की मुख्य फसल है तो बाकी तमाम मसाले अधिकांशतः दक्षिण भारत में होते हैं.
मसाले भारतीय भोजन की जान होते हैं. देश दुनिया में जहां भी भारतीय हैं वहां बिना मसाले के उनके किचन की कल्पना नहीं की जा सकती. बढ़ती बीमारियों और औषधीय खूबियों के कारण मसालों का क्रेज और बढ़ा है. खासकर कोविड के बाद तो और भी. इसलिए इसकी खेती की संभावनाएं भी बढ़ी हैं. कुशीनगर का इंटरनेशनल एयरपोर्ट इन संभावनाओं को आने वाले समय में और चार चांद लगाएगा.