खेतों में उर्वरकों के अंधाधुंध इस्तेमाल से मिट्टी अपनी उपजाऊ शक्ति खोती जा रही है. मिट्टी की उर्वरक शक्ति को बढ़ाने के लिए किसान अब अधिक मात्रा में जैविक खेती और प्राकृतिक खेती को अपना रहे हैं. इसको बढ़ावा देने के लिए सरकार भी भरसक प्रयास कर रही है. इस तकनीक से जमीन को रसायनों से हो रहे नुकसान से बचाया जा सकता है. वहीं केंद्र और राज्य सरकारें भी किसानों को प्राकृतिक खेती के लिए प्रोत्साहित कर रही हैं. इसके लिए सरकार किसानों को भी सब्सिडी दे रही है. इसी कड़ी में बिहार सरकार भी ढैचा बीज के लिए किसानों को सब्सिडी दे रही है. वहीं सरकार चाहती है कि किसान खेती में यूरिया सहित अन्य रासायनिक उर्वरकों का उपयोग न करें और प्राकृतिक खाद का ही इस्तेमाल करें.
ढैंचा बीज कम खर्चों वाली खाद का जुगाड़ माना जाता है.किसानों को खरीफ सीजन शुरू होने से पहले इसकी आवश्यक रूप से बुवाई करनी चाहिए. आइए जानते हैं कि खेती के लिए ढैंचा बीज कितना आवश्यक है और इसके लिए सरकार किसानों को कितनी सब्सिडी दे रही है.
किसानों के लिए खरीफ सीजन से पहले खेतों में ढैंचा लगाने के लिए बिहार सरकार ढैंचा बीज पर वास्तविक कीमत का 90 प्रतिशत यानी अधिकतम 6300 रुपये की सब्सिडी दे रही है. मतलब किसान खरीफ सीजन में ढैंचा बीज सब्सिडी पर लेकर अच्छी खेती करके अच्छा उत्पादन कर सकते हैं. दरअसल बिहार में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लक्ष्य के साथ किसानों के लिए कई योजनाएं चलाई जा रही हैं. वहीं यह हरी खाद योजना के तहत खेती के लिए किसानों को सब्सिडी देने का प्रावधान है.
कृषि विशेषज्ञों की मानें तो हरी खाद ढैंचा का प्रयोग यूरिया का एक अच्छा इको फ्रेंडली ऑप्शन है. यूरिया के अधिक इस्तेमाल से मिट्टी की उर्वरता शक्ति बेकार हो जाती है. वहीं हरी खाद की खेती के कोई साइड इफेक्ट नहीं है. ये वातावरण में नाइट्रोजन के स्थिरीकरण में मददगार है. साथ ही इससे मिट्टी में जीवांशों की संख्या भी बढ़ती है. माना जाता है कि हरी खाद से भूजल स्तर भी बेहतर होता है,
ढैंचा की खेती से भूमि में जीवाणुओं की संख्या बढ़ती है, जिससे उत्पादन में अच्छी बढ़ोतरी होती है. वहीं अगर फसल चक्र में लगातार ढैंचा की फसल को शामिल किया जाए तो इससे भूमि की भौतिक और रासायनिक संरचना में सुधार होता है. भारी बारिश के दौरान इसकी गहरी जड़ें मिट्टी की उपजाऊ परत को बढ़ने नहीं देती हैं. वहीं ढैंचा की खेती से भूमि में पानी सोखने की क्षमता बढ़ती है.
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जिस किसान को ढैंचा की खेती करनी है. वह बिहार कृषि विभाग द्वारा दी गई DBT पोर्टल के लिंक पर जाकर या इसके अलावा BRBN पोर्टल के लिंक पर जाकर आवेदन कर सकते हैं. साथ ही किसान सुविधा अनुसार वसुधा केंद्र, कॉमन सर्विस सेंटर, साइबर कैफे या खुद के एंड्रॉयड मोबाइल के माध्यम से भी आवेदन कर सकते हैं.
हरी खाद योजना के तहत मिलने वाले ढैंचा के बीज की सब्सिडी के लिए कृषि विभाग ने ऑनलाइन आवेदन की अंतिम तारीख 12 मई निर्धारित की है. वहीं विभाग ने बीज वितरण के लिए भी तारीख का ऐलान किया है. आवेदन करने वाले किसानों को 22 मई तक ही बीज दिया जाएगा.