बीमाधड़ीः
अगर आपको किसी कंपनी के बारे में कोई शिकायत करनी हो या कोई जानकारी लेनी हो तो आप क्या करते हैं? जाहिर है आप उसके दफ्तर में जाएंगे और शिकायत या जानकारी लेंगे. लेकिन प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में ऐसा नहीं है. किसानों के पास फसल खराबे की शिकायत करने के लिए टोलफ्री नंबर के अलावा और कोई विकल्प नहीं है. वहीं, बीमा कंपनियों का दावा है कि उनके पंचायत समिति स्तर पर बीमा एजेंट या प्रतिनिधि होते हैं. वहीं, किसानों को कहना है कि खराबे की स्थिति में ये प्रतिनिधि कहीं मिलते ही नहीं हैं. इसीलिए सवाल उठता है कि जब गांव-गांव में कंपनी प्रीमियम काटने की व्यवस्था रख सकती है तो गांव में अपना दफ्तर क्यों नहीं खोलतीं ताकि किसानों की पहुंच उन तक आसान हो सके.
प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में यह नियम है कि बीमा कंपनियों के प्रतिनिधि किसी भी राज्य में तीन स्तर पर मौजूद रहेंगे. इसमें राज्य स्तर, जिला और पंचायत समिति स्तर पर पद होते हैं, लेकिन राज्य और जिला स्तर पर ये राज्य सरकार के कृषि विभाग और जिला कृषि विभाग के दफ्तरों में बैठेंगे. वहीं, ब्लॉक लेवल पर बीमा प्रतिनिधि पंचायत समिति के ऑफिस में बैठेंगे. किसानों को बीमा के बाद दी जाने वाली पॉलिसी में सिर्फ इन बीमा कंपनियों के टोलफ्री नंबर ही दिए होते हैं.
पॉलिसी में कहीं भी बीमा कंपनी के संबंधित पंचायत समिति स्तर पर मौजूद बीमा कंपनी के एजेंट या प्रतिनिधि के मोबाइल नंबर नहीं होते. टोंक जिले के किसान गोपाल जाट किसान तक को बताते हैं कि पिछले महीने मार्च में आई बारिश और ओलावृष्टि के बाद उन्होंने खराबे की सूचना टोल फ्री नंबर पर देनी चाही, लेकिन तीन दिनों में एक बार भी इस नंबर पर संपर्क नहीं हो पाया. इसीलिए मैं अपने खराबे की सूचना ही नहीं दे पाया और मुआवजे से वंचित हो गया.
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किसान महापंचायत के राष्ट्रीय अध्यक्ष रामपाल जाट किसान तक से कहते हैं, “प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना बीमा कंपनियों के फायदे की स्कीम है. पूरे देश में ये बीमा कंपनियां राज्य सरकारों के संसाधनों का इस्तेमाल करती हैं. सरकारी दफ्तरों में उनके प्रतिनिधि बैठते हैं, लेकिन जरूरत के वक्त मौजूद नहीं रहते. इसीलिए मैं इसे योजना सरकार की, पैसा किसान का और लाभ बीमा कंपनियों का कहता हूं.”
राजस्थान में सात बीमा कंपनियां काम कर रही हैं. ये कंपनी एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड, एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड, रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड, फ्यूचर जनरल इंडिया इंश्योरेंस कंपनी लिमिटेड, बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी, एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड और यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड हैं.
किसान तक ने अपनी पड़ताल के तहत इन सभी बीमा कंपनियों के राज्य स्तरीय प्रतिनिधियों को फोन किए. सात में से एक कंपनी एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स के प्रतिनिधि त्रयंबकेश्वर तिवारी से ही बात हो सकी. बाकी छह में से पांच प्रतिनिधियों ने फोन नहीं उठाए और ना ही इनके कॉल बैक आए. वहीं, यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड प्रतिनिधि के मोबाइल नंबर पर इनकमिंग कॉलिंग ही बंद थी.
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राजस्थान में फिलहाल सात बीमा कंपनियां फसल बीमा कर रही हैं. इसमें बारां, धौलपुर, हनुमानगढ़, बाड़मेर, झुन्झुनू, करौली एवं उदयपुर जिले के किसान एग्रीकल्चर इन्श्योरेन्स कंपनी ऑफ इण्डिया लिमिटेड कंपनी कार्यरत है. इसके टोल फ्री नंबर 18004196116 हैं.
इसी प्रकार चूरू, भीलवाड़ा, राजसमन्द, दौसा, झालावाड़, श्रीगंगानगर एवं अलवर जिले में एसबीआई जनरल इन्श्योरेन्स कंपनी लिमिटेड किसानों की फसलों का बीमा कर रही है. इसके टोलफ्री नंबर 18002091111 है. वहीं, बांसवाड़ा, नागौर भरतपुर, जयपुर, पाली एवं प्रतापगढ़ जिलों में रिलायन्स जनरल इन्श्योरेंस कम्पनी लिमिटेड है और इसके टोल फ्री नंबर 18001024088 पर संपर्क करने के लिए कहा जाता है.
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इसके अलावा बूंदी, डुंगरपुर एवं जोधपुर के किसानों के लिए फ्यूचर जनरल इण्डिया इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड है. इस कंपनी के टोलफ्री नंबर 18002664141 है. अजमेर, जालौर, सवाई माधोपुर एवं कोटा जिले में प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना में बीमा बजाज अलायंज जनरल इंश्योरेंस कंपनी बीमा करती है. इसके टोल फ्री नंबर 18002095959 हैं.
वहीं, जैसलमेर, सीकर एवं टोंक के किसान एचडीएफसी एग्रो जनरल इंश्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड है और इस कंपनी के टोलफ्री नंबर 18002660700 हैं. इसी तरह बीकानेर, चितौड़गढ़ एवं सिरोही के काश्तकार यूनिवर्सल सोम्पो जनरल इन्श्योरेन्स कम्पनी लिमिटेड बीमा कर रही है. इसके टोल फ्री नंबर 18002005142 हैं.
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