गर्मी और मॉनसून की विदाई के साथ ही अब ठंड दिल्ली-एनसीआर की तरफ बढ़ रही है. खरीफ की कटाई का मौसम भी शुरू हो चुका है और इसके साथ ही अब फिर उसी परेशानी को लेकर डर भी बढ़ने लगा है. खरीफ कटाई के मौसम के साथ ही पंजाब और हरियाणा में फिर से पराली जलाई जाने लगी है. इस पराली की वजह से हवा में प्रदूषण बढ़ता है जिसे हर साल दिल्ली-एनसीआर में पब्लिक हेल्थ के लिए एक बुरे सपने के तौर पर देखा जाता है.
सोमवार को सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि वह राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र और आसपास के क्षेत्रों में वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग से पराली जलाने के बारे में जवाब चाहता है. शुक्रवार को इस मुद्दे पर सुनवाई होने की उम्मीद है. पिछले साल, शीर्ष अदालत ने कहा था कि पराली जलाने पर नियंत्रण किया जाना चाहिए. साथ ही यह सुनिश्चित करने के लिए न्यायिक निगरानी की जरूरत पर जोर दिया था ताकि यह समस्या फिर से न हो. आधिकारिक डेटा से पता चलता है कि इस खरीफ सीजन में अकेले पंजाब में पराली जलाने की 81 घटनाएं सामने आई हैं.
नासा के VIIRS सैटेलाइट सेंसर द्वारा कैप्चर किए गए डेटा से पता चलता है कि पंजाब में अमृतसर और हरियाणा में कुरुक्षेत्र और करनाल के पास फसल अवशेष जलाने की घटनाएं केंद्रित होने की संभावना है. VIIRS डेटा के अनुसार, पिछले सात दिनों में पराली जलाने की घटनाओं में तेजी आई है. पंजाब में, खरीफ की कटाई का मौसम आधिकारिक तौर पर 15 सितंबर से शुरू होता है और 30 नवंबर तक चलता है.
पंजाब प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष आदर्श पाल विग के अनुसार, शुरुआती पांच दिनों में, पंजाब में सिर्फ 18 घटनाएं दर्ज की गईं. इससे पता चलता है कि 20 सितंबर से 24 सितंबर के बीच 63 घटनाएं सामने आईं. डेटा से पता चलता है कि 2021 से पंजाब में फसल अवशेष जलाने की घटनाओं में कमी आई है. आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, राज्य में साल 2021 में 71,000 से अधिक 'आग की घटनाएं', 2022 में 49,900 और 2023 में निर्धारित खरीफ फसल के मौसम के दौरान 36,600 से अधिक घटनाएं हुईं.
इस बीच, दिल्ली-एनसीआर के कई इलाकों में सोमवार को एयर क्वालिटी इंडेक्स एक्यूआई) 210 से 263 के बीच रहने के साथ हवा की गुणवत्ता 'खराब' हो गई. पंजाब और हरियाणा, पराली जलाने के दो सबसे बड़े हॉटस्पॉट, इस साल पराली जलाने को खत्म करने के लिए प्रतिबद्ध हैं. केंद्र सरकार ने सोमवार को राष्ट्रीय राजधानी में सर्दियों के प्रदूषण पर एक उच्च स्तरीय बैठक के बाद कहा. विशेष तौर पर पंजाब, हरियाणा और राजस्थान, उत्तर प्रदेश और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों में किसान निपटान के सबसे सस्ते और तेज़ माध्यम के रूप में फसल अवशेषों को जलाना पसंद करते हैं.
पर्यावरण के अनुकूल तरीके से अवशेषों के निपटान में उनकी सहायता करने के लिए, केंद्र पंजाब और हरियाणा में फसल अवशेष प्रबंधन (सीआरएम) मशीनें खरीदने की योजना चला रहा है. सरकार के अनुसार, इस सीजन में पंजाब में 1.50 लाख से अधिक सीआरएम मशीनें उपलब्ध होंगी, जिन्हें 24,736 कस्टम हायरिंग सेंटर (सीएचसी) की तरफ से मदद दी जाएगी. जबकि हरियाणा में 6,794 सीएचसी द्वारा 90,945 सीआरएम मशीनें उपलब्ध होंगी.(शुभम तिवारी की रिपोर्ट)
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