ओडिशा के इस जिले में खाद के लिए हाहाकार, खतरे में पड़ी धान की खेती 

ओडिशा के इस जिले में खाद के लिए हाहाकार, खतरे में पड़ी धान की खेती 

ओडिशा के किसान इस समय एक बड़ी मुश्किल से गुजर रहे हैं. यहां के केंद्रपाड़ा जिले के किसानों का कहना है कि उन्हें उर्वरक की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे धान और बाकी खरीफ फसलों की समय पर बुवाई प्रभावित हो रही है. बताया जा रहा है कि किसानों के सामने जो नई समस्‍या आई है उसकी वजह से धान की खेती खतरे में आ गई है.

झारखंड सरकार का एक फैसला बना किसानों के लिए खुशखबरी झारखंड सरकार का एक फैसला बना किसानों के लिए खुशखबरी
क‍िसान तक
  • New Delhi ,
  • Aug 09, 2024,
  • Updated Aug 09, 2024, 1:40 PM IST

ओडिशा के किसान इस समय एक बड़ी मुश्किल से गुजर रहे हैं. यहां के केंद्रपाड़ा जिले के किसानों का कहना है कि उन्हें उर्वरक की कमी का सामना करना पड़ रहा है. इससे धान और बाकी खरीफ फसलों की समय पर बुवाई प्रभावित हो रही है. बताया जा रहा है कि किसानों के सामने जो नई समस्‍या आई है उसकी वजह से धान की खेती खतरे में आ गई है. किसानों की मानें तो अगर तुरंत कुछ नहीं किया गया तो फिर धान के पौधे सूख जाएंगे और उन्‍हें काफी नुकसान झेलना पड़ेगा. 

खाद का स्‍टॉक जारी करने की मांग 

टाइम्‍स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार टीकापंगा ग्राम पंचायत के तहत गटानई गांव के किसान रमेश चंद्र प्रुस्ती ने कहा कि अगर खाद का स्टॉक तुरंत जारी नहीं किया गया, तो धान के पौधे सूख जाएंगे और इससे भारी नुकसान होगा. किसान नेता और किसानों की सभा की जिला इकाई के अध्यक्ष उमेश चंद्र सिंह ने कहा कि खाद की कमी के कारण कई किसान कालाबाजारियों और जमाखोरों से महंगे दामों पर खाद खरीदने को मजबूर हैं. 

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किसानों ने लगाया आरोप 

गटनई के एक अन्य किसान कैलाश मिश्रा ने दावा किया कि बार-बार गुहार लगाने के बावजूद अधिकारी खाद की आपूर्ति करने में विफल रहे. मुख्य जिला कृषि अधिकारी कल्याण रे के हवाले से अखबार ने लिखा है, 'केंद्रपाड़ा जिले के करीब 3.60 लाख किसान 1,24,000 हेक्टेयर खेती योग्‍य जमीन पर धान की फसल उगाते हैं.  उन्हें करीब 14,400 मीट्रिक टन उर्वरक की जरूरत है. हमें सरकार से पहले ही 6,913 मीट्रिक टन उर्वरक मिल चुका है.  हमें जल्द ही और उर्वरक मिल जाएगा.' 

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वर्मी पोस्‍ट के प्रयोग करने की मांग 

एक और किसान नेता भास्कर जेना ने बताया कि रासायनिक खादों के नियमित उपयोग से हर साल इसकी आवश्यकता बढ़ती है और इसकी मांग भी बढ़ती है. उन्‍होंने बताया कि कृषि विभाग को किसानों को रासायनिक खादों के उपयोग को कम करने के लिए जैविक और वर्मिन खाद का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए. 

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