भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद के बीच नीति आयोग का बड़ा सुझाव, जानिए किसानों के लिए क्या है जरूरी

भारत-अमेरिका टैरिफ विवाद के बीच नीति आयोग का बड़ा सुझाव, जानिए किसानों के लिए क्या है जरूरी

इस रिपोर्ट में भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार की मौजूदा स्थिति, डोनाल्ड ट्रंप की नई व्यापार नीति "पारस्परिक टैरिफ" के प्रभाव और संभावित चुनौतियों से निपटने के लिए भारत को जिन रणनीतियों की आवश्यकता है, उन पर ध्यान केंद्रित किया गया है.

India-US tariff disputeIndia-US tariff dispute
प्राची वत्स
  • Noida,
  • Jun 16, 2025,
  • Updated Jun 16, 2025, 1:27 PM IST

भारत और अमेरिका के बीच कृषि व्यापार ने पिछले दो दशकों में जबरदस्त तरक्की की है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के साथ पुराने और नए कृषि उत्पादों का व्यापार करके आपसी आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है. लेकिन अब, 2025 में अमेरिका में डोनाल्ड ट्रम्प के फिर से राष्ट्रपति बनने के बाद कुछ ऐसे फैसले लिए गए हैं जो इस रिश्ते को चुनौती दे सकते हैं.

आइए आसान भाषा में समझते हैं नीति आयोग की ये रिपोर्ट जिसमें भारत-अमेरिका कृषि व्यापार की स्थिति क्या है, क्या बदलाव आ रहे हैं, और भारत को आगे क्या कदम उठाने चाहिए.

1. भारत-अमेरिका कृषि व्यापार में जबरदस्त विकास

बीते 20 वर्षों में भारत-अमेरिका कृषि व्यापार में जबरदस्त विकास देखने को मिला है. भारत और अमेरिका का कृषि व्यापार पहले कुछ गिने-चुने उत्पादों तक सीमित था. लेकिन समय के साथ दोनों देशों ने अपने निर्यात और आयात के दायरे को बढ़ाया है. भारत अमेरिका को बासमती चावल, झींगा (Frozen Shrimp), मसाले, और प्रोसेस्ड अनाज जैसे उत्पाद निर्यात करता है. वहीं भारत अमेरिका से बादाम, अखरोट, पिस्ता जैसे महंगे और पोषणयुक्त कृषि उत्पाद आयात करता है. इस व्यापार ने न सिर्फ आर्थिक संबंधों को मजबूत किया है, बल्कि किसानों और व्यापारियों को भी नए मौके दिए हैं.

2. डोनाल्ड ट्रम्प की वापसी और "रेसिप्रोकल टैरिफ्स" की घोषणा

जनवरी 2025 में जब डोनाल्ड ट्रम्प दोबारा अमेरिका के राष्ट्रपति बने, तो उन्होंने एक नई व्यापार नीति की घोषणा की. इस नीति के तहत अमेरिका ने "रेसिप्रोकल टैरिफ्स" यानी ‘प्रतिस्पर्धात्मक शुल्क’ लगाने की बात कही. इसका मतलब है कि अगर कोई देश अमेरिकी उत्पादों पर ज्यादा टैक्स लगाता है, तो अमेरिका भी उस देश के उत्पादों पर उतना ही टैक्स लगाएगा. इस नीति का उद्देश्य अमेरिकी उत्पादों को ज्यादा बाजार पहुंच देना है, लेकिन इसका असर भारत जैसे विकासशील देशों पर बुरा पड़ सकता है.

3. भारत के लिए संभावित खतरे

नई अमेरिकी नीति भारत के किसानों और उपभोक्ताओं दोनों के लिए चुनौती बन सकती है: अगर अमेरिका से सस्ते उत्पाद भारत में आ जाएंगे, तो हमारे स्थानीय किसान अपनी फसल सही कीमत पर नहीं बेच पाएंगे. इससे कृषि उत्पादों की कीमतों में अस्थिरता आ सकती है, जिससे उपभोक्ताओं को भी नुकसान हो सकता है. भारत के लिए जरूरी है कि वह ऐसी नीतियों से खुद को बचाए और अपने किसानों की रक्षा करे.

4. भारत की रणनीति: दो हिस्सों में काम करने की ज़रूरत

भारत को इस चुनौती से निपटने के लिए दोतरफा योजना बनानी होगी – एक अल्पकालिक (Short-Term) और दूसरी दीर्घकालिक (Long-Term).

अल्पकालिक रणनीति

गैर-संवेदनशील उत्पादों पर टैरिफ घटाया जा सकता है- जैसे कि वो उत्पाद जो भारत में पर्याप्त मात्रा में नहीं बनते, जैसे खाद्य तेल और सूखे मेवे. संवेदनशील क्षेत्रों जैसे पोल्ट्री और डेयरी पर गैर-टैरिफ उपाय (जैसे गुणवत्ता नियम, सेफ्टी मानक) लागू किए जा सकते हैं. अमेरिका से बातचीत कर के दोनों देशों के लिए फायदेमंद समझौते किए जा सकते हैं.

दीर्घकालिक रणनीति

नई तकनीकें अपनानी होंगी ताकि उत्पादकता बढ़े. कृषि बाजारों में सुधार करने होंगे, ताकि किसान सीधे ग्राहकों को उत्पाद बेच सकें. लॉजिस्टिक्स और इंफ्रास्ट्रक्चर को बेहतर करना होगा ताकि उत्पाद जल्दी और सुरक्षित बाजार तक पहुंच सकें. प्राइवेट सेक्टर की भागीदारी से कृषि में निवेश और नवाचार बढ़ाया जा सकता है. मूल्य श्रृंखला (Value Chain) को मजबूत बनाना होगा जिससे उत्पादों की प्रोसेसिंग और ब्रांडिंग में सुधार हो.

5. नीति और कूटनीति की अहम भूमिका

भारत और अमेरिका का संबंध केवल व्यापार का नहीं, बल्कि रणनीतिक साझेदारी का भी है. आने वाले समय में भारत को चतुराई से व्यापार नीति और कूटनीति का प्रयोग करना होगा ताकि:

  • भारतीय किसानों के हितों की रक्षा हो सके,
  • साथ ही भारत को अमेरिका जैसे बड़े बाजार तक पहुंच मिलती रहे.

यदि भारत इन दोनों पहलुओं को संतुलित रखे, तो यह साझेदारी और भी मजबूत हो सकती है.

भारत-अमेरिका कृषि व्यापार इस समय बदलाव के मोड़ पर है. अमेरिका की नई नीतियों से कुछ जोखिम जरूर हैं, लेकिन भारत के पास उन्हें संभालने के रास्ते भी हैं. अगर भारत सही समय पर सही फैसले ले, तो वह न केवल इन चुनौतियों से पार पा सकता है, बल्कि वैश्विक कृषि बाजार में एक बड़ी ताकत भी बन सकता है.

ये भी पढ़ें: 

कृषि में आत्मनिर्भरता की जंग: सीमा शुल्क बढ़ाओ, भारत बचाओ!
Green Fodder: बरसात में बकरियों को नहीं खि‍लाएं हरा चारा, ये पत्ति‍यां खि‍लाईं तो बढ़ जाएगा दूध-मीट

MORE NEWS

Read more!