छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए कृषि विकास योजनाओं पर 10 हजार करोड़ रुपये खर्च करेगी. राज्य सरकार कृषि पंपों पर मुफ्त बिजली देने के लिए 3500 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. इसके साथ ही परंपरागत कृषि विकास योजना के लिये 20 करोड़ रुपये खर्च किए जाएंगे. जबकि जैविक खेती को बढ़ावा देने के इरादे से ऑर्गेनिक प्रमाणीकरण के लिये 24 करोड़ रुपये खर्च होंगे. इसके साथ ही 500 नई सहकारी समितियां बनाने की घोषणा की गई है. राज्य सरकार कृषि से जुड़ी अन्य योजनाओं पर भी मोटा पैसा खर्च करेगी.
छत्तीसगढ़ सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के लिए 1,65,000 करोड़ रुपये का बजट पेश किया. इसमें महिलाओं, खाद्य सुरक्षा से संबंधित कल्याणकारी योजनाओं के लिए पर्याप्त धनराशि प्रस्तावित की गई है. जबकि, कृषि समृद्धि को बढ़ावा देने के लिए 10,000 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं. वित्त मंत्री ओपी चौधरी ने विधानसभा में बजट पेश करते हुए घोषणा की कि यह बजट 'गति' की थीम पर आधारित है, जिसमें सुशासन, बुनियादी ढांचे में तेजी, प्रौद्योगिकी और औद्योगिक विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया है.
उन्होंने कहा कि अचल संपत्ति के लेनदेन पर स्टांप शुल्क पर उपकर हटा दिया जाएगा, जबकि राज्य में प्रमुख नदियों को जोड़ने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाएगा. महानदी-इंद्रावती और सिकासार-कोडार नदियों को जोड़ने के लिए एक सर्वेक्षण किया जाएगा. दूरदराज के क्षेत्रों में सेलफोन कनेक्टिविटी देने के लिए मुख्यमंत्री मोबाइल टॉवर योजना शुरू की जाएगी. कम जनसंख्या वाले क्षेत्रों में ग्राम पंचायत से ब्लॉक और जिला स्तर तक परिवहन सेवाएं देने के लिए मुख्यमंत्री परिवहन योजना के तहत धन आवंटित किया जाएगा. उन्होंने कहा 500 नई सहकारी समितियां बनाई जाएंगी.
उन्होंने कहा कि बजट का एक प्रमुख आकर्षण कृषक उन्नति योजना के लिए 10,000 करोड़ रुपये का आवंटन है, जिसका उद्देश्य कृषि समृद्धि को बढ़ावा देना है, साथ ही ग्रामीण आवास को उन्नत करने के लिए प्रधानमंत्री आवास योजना (ग्रामीण) के लिए 8,500 करोड़ रुपये का आवंटन है. चौधरी ने कहा कि महतारी वंदन योजना के लिए 5,500 करोड़ रुपये और मुख्यमंत्री खाद्य सहायता योजना योजना के लिए 4,500 करोड़ रुपये का पर्याप्त वित्त पोषण प्राप्त हुआ है. 5 एचपी तक के कृषि पंपों के लिए मुफ्त बिजली देने के लिए 3,500 करोड़ रुपये अलग रखे गए हैं, जिससे किसानों पर वित्तीय बोझ कम होगा.