देश के प्रमुख कॉटन उत्पादक महाराष्ट्र में कॉटन का भाव पिछले लगभग एक महीने से स्थिर बना हुआ है. दाम न्यूनतम समर्थन मूल्य के स्तर पर बना हुआ है. इसलिए राज्य के किसान अब असमंजस में पड़े हैं कि वो कपास बेच दें या फिर और अच्छे भाव की उम्मीद में उसे रोक कर रखें. पिछले साल उन्होंने ऐसी ही उम्मीद में कपास अपने घरों पर स्टोर किया हुआ था, लेकिन उससे उन्हें नुकसान ही हुआ था. लेकिन इस साल कपास का उत्पादन कम है इसलिए उन्हें दिखाई दे रहा है कि आने वाले दिनों में सायद दाम बढ़ सकते हैं. इसी उलझन में किसान पड़े हुए हैं.
राज्य की अधिकांश मंडियों में कॉटन का दाम इस समय 6800 से 7200 रुपये प्रति क्विंटल तक बना हुआ है. इस साल देश के सभी कपास क्षेत्रों में उत्पादन बेहद कम हुआ है. इसलिए ऐसा अनुमान लगाया जा रहा है कि आने वाले दिनों में दाम एमएसपी के स्तर से ऊपर भी पहुंच सकता है.
महाराष्ट्र के किसानों और मार्केट विशेषज्ञों का अनुमान है कि कपास भाव 8000 रुपये क्विंटल तक पहुंच सकता है. लेकिन एक महीने से दाम स्थिर बना है इसलिए किसानों की चिंता बढ़ रही है. इस साल कई क्षेत्रों में गुलाबी सुंडी की वजह से कपास की फसल को बड़े पैमाने पर नुकसान हुआ है. यही नहीं अलनीनो के असर की वजह से भी उत्पादन कम हुआ है. क्योंकि कपास फसल को सूखे का सामना करना पड़ा है.
महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केटिंग बोर्ड के अनुसार संगमनेर में 29 नवंबर को कॉटन का न्यूनतम दाम 6000, अधिकतम 6900 जबकि औसत दाम 6450 रुपये प्रति क्विंटल रहा. वर्धा में मध्यम रेशे वाले कपास का न्यूनतम दाम 7025 क्विंटल रहा. अधिकतम दाम 7200 और औसत दाम 7100 रुपये प्रति क्विंटल दर्ज किया गया. वरोरा मंडी में न्यूनतम दाम 6651 और अधिकतम 7151 रुपये प्रति क्विंटल रहा. जबकि औसत भाव 7050 रुपये रहा.
केंद्र सरकार ने 2023-24 के लिए मध्यम रेशेवाले कपास की एमएसपी 6620 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है. यह पिछले साल 6080 रुपये प्रति क्विंटल थी. दूसरी ओर लंबे रेशे वाली किस्म का एमएसपी 7020 रुपये प्रति क्विंटल है. पिछले साल इसका सरकारी दाम 6380 रुपये था. इस साल किसानों के अच्छे दाम की उम्मीद पूरी होती है या नहीं यह असमंजस बना हुआ है.
कॉटन एसोसिएशन ऑफ इंडिया ने अपने पहले फसल अनुमान में कहा है कि 2023-24 में कॉटन उत्पादन 295.10 लाख गांठ होगा. वर्ष 2023-24 के लिए अनुमान पिछले वर्ष के 318.90 लाख गांठ से 7.5 प्रतिशत कम है. सीएआई ने उत्तरी क्षेत्र में पिछले वर्ष की तुलना में 43 लाख गांठ उत्पादन का अनुमान लगाया है. एक गांठ 170 किलोग्राम कॉटन होता है. उत्तरी क्षेत्र में राजस्थान, हरियाणा और पंजाब आते हैं.
मध्य क्षेत्र में उत्पादन 179.60 लाख गांठ बताया गया है, जो पिछले साल के 194.62 लाख गांठ से काफी कम है. मध्य क्षेत्र में गुजरात, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश आते हैं. उधर, दक्षिण क्षेत्र (तेलंगाना, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और तमिलनाडु) में उत्पादन पिछले साल के 74.85 लाख गांठ से कम होकर 67.50 लाख गांठ रहने का अनुमान है.