नागौर शहर के निवासी मनीष कुमार शर्मा इंग्लैंड में नौकरी कर रहे थे. लेकिन मां-बाप की सेवा उन्हें भारत खींच लाई. वह अपने खेत में जैविक तरीके से खेती शुरू की अब इससे वो अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
कलयुग के श्रवण कुमार होने का उदाहरण नागौर के एक बेटे ने दिया है. नागौर का यह बेटा ब्रिटेन में सालाना 72 लाख रुपए के पैकेज पर एप्पल कंपनी में कार्यरत था. लेकिन मां-बाप से बात करने के लिए केवल एक माध्यम था फोन, जिससे वह बात करता था. कोरोना के समय वो अपनी नौकरी छोड़ अपने मां-बाप की सेवा के लिए वापिस भारत आ गए थे.
निवासी मनीष कुमार शर्मा बाजरा, गेंहू, जीरा, कपास और सब्जियां उगाते हैं. इससे सालाना 15 लाख रुपए की इनकम होती है. साथ में मां-बाप की सेवा भी कर पाते हैं. शर्मा के पास जमीन अच्छी खासी है. करीब 100 बीघा जमीन पर जैविक खेती कर रहे हैं. जिससे अच्छा खासा मुनाफा हो रहा है.
मनीष कुमार शर्मा का पुश्तैनी घर भी नागौर में ही है. प्राथमिक शिक्षा सरकारी विद्यालय राजकीय कांकरिया स्कूल में पूरी हुई और दयानंद यूनिवर्सिटी अजमेर से BBA का कोर्स किया. तीन वर्ष तक CAS का कोर्स भी किया,उसके बाद फिर यूके की एक यूनिवर्सिटी से आईबीएम एमएससी तथा पीएचडी की शिक्षा हासिल की.
जब मनीष से इस पैकेज के ठुकराने को लेकर पूछा गया तब उन्होंने बताया कि पैसे तो खूब कमा सकते हैं. लेकिन मां-बाप की सेवा का मौका नहीं मिलता है. ब्रिटेन में नौकरी करता था वहां पर मां-बाप को साथ रखना के लिए वहां की सरकार इजाजत नहीं दे रही थी. अब सेवा और खेती दोनों कर रहा हु.
मनीष ने बताया कि मेरी इच्छा मां-बाप के साथ रहने की थी. जब कोरोना महामारी ने पूरे विश्व में हाहाकर मचाया तब वह भी ब्रिटेन से भारत आए. मां-बाप की सेवा करने के लिए यहीं पर रहने का फैसला लिया. अपने 100 बीघा खेत में जैविक खेती करके उसको आगे बढ़ाया.