धान को तना छेदक या गोभ की सूंडी कीट बहुत अधिक नुकसान पहुंचाते हैं. इससे फसल मारी जाती है और किसान की मेहनत पर पानी फिर जाता है. इसलिए किसानों को समय रहते कीटों का नियंत्रण करना चाहिए. ऐसा नहीं करने पर उत्पादन गिर सकता है.
तना छेदक या गोभ की सूंडी से हुए नुकसान को संक्रमण के लगभग एक हफ्ते बाद देखा जा सकता है. लेकिन तब तक नुकसान को नियंत्रित करने में बहुत देर हो सकती है. इसके लिए आपको संक्रमण होने से पहले ही जरूरी कदम उठाने की जरूरत होती है.
धान पर तना छेदक या गोभ की सूंडी से निपटने के लिए किसानों को सलाह दी जाती है कि वे फसल की जल्दी रोपाई करें क्योंकि देर से रोपाई करने से उपज पर प्रभाव पड़ता है. देर से किया गया इलाज या उपचार करने से फसल ठीक नहीं होगी.
धान पर कीटों के असर को कम करने के लिए किसानों को कीटनाशकों का प्रयोग करना चाहिए. वर्टाको दवा तना छेदक या गोभ की सूंडी पर अच्छा और लंबे समय तक सुरक्षा देती है. दवा का सही समय पर इस्तेमाल करें तो अनाज की अच्छी क्वालिटी होगी और उत्पादन भी बढ़ेगा.
तना छेदक या गोभ की सूंडी ऐसे कीट हैं जो धान की पत्तियों की ऊपरी सतह पर अपने भूरे रंग के 15-80 के अंडे देते हैं. कम उम्र की इल्ली रेशम के धागे से पत्तियों पर से झूलती हैं और हवा के बहाव में अन्य पौधों पर पहुंच जाती हैं. इससे दूसरे पौधों पर भी संक्रमण फैल जाता है. बड़ी सूंडियां शीथ और कल्लों में छेद कर घुस जाती हैं.
तना छेदक या गोभ की सूंडी एक खतरनाक कीट है. यह ऐसा कीट है जो फसल की शुरुआती अवस्था में ही हमला करता है, जिससे फसल की क्वालिटी खराब हो जाती है और उपज में कमी आ जाती है. एक अनुमान के मुताबिक सूंडी के प्रकोप से धान के उत्पादन में 20 से 70 परसेंट तक का नुकसान हो सकता है.
गोभ की सूंडी या तना छेदक कीट के चपेट में आने की संभावना इसकी शुरुआती चरण से लेकर इसमें फूल आने के तक होती है. इसलिए किसानों को फूल आने तक सावधान रहना चाहिए. फसल की बराबर निगरानी करनी चाहिए. अगर कीटों के प्रकोप का असर दिखे तो तुरंत दवाओं का छिड़काव कर फसल का उपचार किया जाना चाहिए.