घर में चाहे छोटे पौधे लगाने हों या बड़े या फिर पेड़ ही लगाना हो, सबसे ज्यादा जरूरी होता है उसकी ग्रोथ के लिए उसे अच्छी क्वालिटी की खाद देना. यही वजह है कि लोग अपने खेतों में या बगीचे में इस्तेमाल करने के लिए हमेशा बढ़िया से बढ़िया कंपनी की खाद तलाशते हैं.
ऐसे में बेस्ट ऑप्शन तो ये होता है कि आप घर पर ही खाद तैयार कर लें. ये काम आपको थोड़ा मुश्किल लग सकता है, लेकिन घर पर खुद से खाद बनाना काफी आसान है. ऐसे में आप मटका खाद तैयार कर सकते हैं. आइए जानते हैं कैसे बनाते हैं मटका खाद और क्या है इसकी खासियत.
ऐसे में ये जान लेते हैं कि मटका खाद क्या है. दरअसल मटका खाद 100 प्रतिशत शुद्ध जैविक खाद है. इसके प्रयोग से पौधों को भरपूर ऊर्जा मिलती है और पौधे अच्छे से विकास करते हैं. अन्य जैविक खादों की तरह मटका खाद भी हमारे आसपास उपलब्ध चीजों से बहुत कम लागत पर तैयार की जा सकती है.
इसे बनाने के लिए सबसे पहले एक बर्तन में 15 लीटर साफ पानी लें और उसमें 250 ग्राम गुड़ मिलाकर अच्छे से घोल तैयार कर लें. फिर बर्तन में 15 लीटर गोमूत्र और 15 किलो गोबर डालें और 4-5 मिनट तक सीधी दिशा में डंडे से हिलाएं. इसके बाद विपरीत दिशा में हिलाएं.
इसके बाद मटके का मुंह ढक्कन से बंद कर दें और उस पर गाय के गोबर और मिट्टी का लेप लगा दें. अब इस बर्तन को किसी छायादार जगह पर रख दें. 7 से 10 दिन बाद मटका खाद तैयार हो जाएगी. इस खाद को एक ड्रम में पलट लें और इसमें 150 लीटर पानी मिला दें. बाद में इसे छानकर फसल पर छिड़काव किया जाता है.
मटका खाद का प्रयोग खेतों में बुआई से दो दिन पहले करें तथा दूसरा छिड़काव एक माह बाद करें. जब फसल में अच्छे फूल आने लगे तो मटका खाद का तीसरा छिड़काव करें. एक गमला एक बीघे जमीन के लिए खाद बन जाता है. बुआई के 30 दिन या 50 दिन बाद 30 लीटर कम्पोस्ट को 200 लीटर पानी में मिलाकर फसल की जड़ों पर छिड़काव करें.
मटका खाद तैयार होने के दो से तीन दिन के अंदर उसका उपयोग करें. अधिक समय तक रखे मटका खाद से उचित लाभ नहीं मिलता है. जब आप इसका दूसरा और तीसरा छिड़काव कर रहे हों तो दोबारा मटका खाद बना लें. इसके अलावा मटका खाद बनाने के लिए गाय का गोबर और गोमूत्र 7 दिन से ज्यादा पुराना नहीं होना चाहिए.