प्राचीन काल से ही गिलोय का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि के रूप में किया जाता रहा है. अमृत समान गुण होने के बावजूद ज्यादातर लोग गिलोय की सही पहचान नहीं कर पाते हैं. दरअसल, इसके पत्तों का आकार पान के पत्तों जैसा होता है, जो गहरे हरे रंग के होते हैं. खास बात यह है कि इनकी पत्तियां औषधीय होने के साथ-साथ सुंदर भी होती हैं.
इसी कारण इसका उपयोग सजावटी पौधे के रूप में भी किया जाता है. विशेषज्ञ इस पौधे को अमृत समान मानते हैं. इसके अलावा इसे गुडुची, अमृता आदि नामों से भी जाना जाता है. इस पौधे और पत्तों के कई फायदे हैं. जिसे सुनकर आप भी इसे अपने डाइट में शामिल कर लेंगे.
गिलोय का उपयोग बुखार, हाइ बीपी, शुगर, कब्ज, खांसी, त्वचा रोगों और शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने के लिए किया जाता है.
खास बात यह है कि यह बेल जिस भी पेड़ या पौधे पर चढ़ती है, उसके औषधीय गुणों को सोख लेती है. ऐसे में नीम के पेड़ पर उगने वाली गिलोय की खासियत काफी बढ़ जाती है. इस वजह से बाजार में इसकी मांग कई गुना ज्यादा है.
गिलोय में टेनोस्पोरिन, पामारिन और टेनोस्पोरिक एसिड नामक ग्लूकोसाइड पाए जाते हैं. इसके अलावा गिलोय में कॉपर, आयरन, फॉस्फोरस, जिंक, कैल्शियम और मैगनीज भी प्रचुर मात्रा में मिलते हैं.
गिलोय में भरपूर मात्रा में एंटीऑक्सीडेंट पाए जाते हैं. इसके अलावा इसमें एंटी-इंफ्लेमेटरी गुण भी होते हैं. इस वजह से यह बुखार, पीलिया, गठिया, मधुमेह, कब्ज, एसिडिटी, अपच, मूत्र रोग आदि के लिए अचूक इलाज है. हालांकि, कुछ भी नया इस्तेमाल करने से पहले डॉक्टर की सलाह जरूर लें.
यह अस्थमा के मरीजों के लिए भी गुणकारी है, क्योंकि यह अस्थमा के लक्षणों को कम करता है. गिलोय लिवर रोग को दूर करने में भी काफी सहायक है.
अगर आप गठिया के शिकार हैं, तो गिलोय इससे निजात दिलानें कारगर है. यह दाग-धब्बों, फाइन लाइन्स, पिंपल्स और झुर्रियों को कम करके त्वचा की सुंदरता बनाए रखने में मदद करता है. गिलोय की पत्तियों को उबालकर पीने से इम्यून सिस्टम मजबूत होता है. शरीर कई खतरनाक बीमारियों से बचा रहता है.