PHTOS: सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को बड़ी राहत, दाम में आया उछाल

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PHTOS: सोयाबीन की खेती करने वाले किसानों को बड़ी राहत, दाम में आया उछाल

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महाराष्ट्र की मंड‍ियों में सोयाबीन का औसत दाम 5000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल से ऊपर पहुंच गया है. यानी न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) से ज्यादा दाम क‍िसानों को म‍िल रहा है. इसे और बढ़ने की उम्मीद लगाई जा रहा है क्योंक‍ि राज्य में इस साल सूखे की वजह से फसल खराब हो गई थी और पहले जैसा उत्पादन नहीं हुआ था. केंद्र सरकार ने खरीफ मार्केट‍िंग सीजन 2023-24 के ल‍िए सोयाबीन की एमएसपी 4600 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल घोष‍ित की है. 
 

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 ज्यादातर मंड‍ियों में दाम इससे ज्यादा ही चल रहा है. इससे क‍िसान खुश हैं. किसान खरीफ सीजन में नकदी फसल के रूप में सोयाबीन की खेती करते हैं. नई निकली सोयाबीन का इतना दाम म‍िलने से क‍िसान संतुष्ट हैं. 
 

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केंद्र सरकार ने एमएसपी घोष‍ित करते हुए माना था क‍ि क‍िसानों को इसकी उत्पादन लागत 3029 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल आती है. इसल‍िए इस साल सोयाबीन की एमएसपी में सरकार ने 300 रुपये वृद्ध‍ि कर दी है. 

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इस ह‍िसाब से क‍िसानों को अच्छा दाम म‍िल रहा है. हालांक‍ि, 2021 में क‍िसानों को 11 हजार रुपये क्व‍िंटल तक का दाम म‍िला था. उसके बाद अब तक इतना पैसा नहीं नहीं म‍िला. क‍िसानों को उम्मीद है क‍ि इस साल 8000 रुपये तक का भाव जा सकता है क्योंक‍ि इस बार उत्पादन पर सूखे की मार पड़ी है.

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महाराष्ट्र एग्रीकल्चरल मार्केट‍िंग बोर्ड के अनुसार 29 नवंबर को लासलगांव मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम 3800, अध‍िकतम 5140 और औसत दाम 5080 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. पुणे जिले के हवेली तालुका स्थ‍ित चिखाली मंडी में सोयाबीन का न्यूनतम दाम 4700, अध‍िकतम 5225 और औसत दाम 4960 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. दूसरी ओर जालना मंडी में न्यूनतम दाम 4500, अध‍िकतम 5100 और औसत दाम 5000 रुपये प्रत‍ि क्व‍िंटल रहा. राज्य की ज्यादातर एपीएमसी में इसी तरह का दाम चल रहा है. महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश सोयाबीन के प्रमुख उत्पादक प्रदेश हैं. 
 

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सोयाबीन क्यों भारत के ल‍िए महत्वपूर्ण है इसकी जानकारी भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान ने दी है. ज‍िसके अनुसार वर्तमान में सोयाबीन देश में कुल तिलहन फसलों का 42 प्रतिशत और कुल खाद्य तेल उत्पादन में 22 प्रतिशत का योगदान दे रहा है. जनसंख्या में वृद्धि के साथ खाद्य तेल की मांग बढ़ रही है और विभिन्न तिलहनी फसलों द्वारा 40 फीसदी मांग को पूरा किया जा रहा है. खाद्य तेलों की बाकी 60 प्रत‍िशत मांग आयात द्वारा पूरी की जा रही है. सभी तिलहन फसलों में सोयाबीन ही ऐसी फसल बताई जाती है ज‍िसमें खाद्य तेल के उत्पादन में भारत को आत्मनिर्भर बनाने की क्षमता है.
 

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