World Milk Day 2024: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मिल्क डे, क्या है इसके पीछे की कहानी

World Milk Day 2024: क्यों मनाया जाता है वर्ल्ड मिल्क डे, क्या है इसके पीछे की कहानी

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) कि ओर से इस दिन की शुरुआत करने से पहले ही कई देश 1 जून या उसके आसपास के दिन को नेशनल मिल्क डे के रूप में मना रहे थे. इसलिए इस तारीख को वर्ल्ड मिल्क डे के रूप में चुना गया.

वर्ल्ड मिल्क डेवर्ल्ड मिल्क डे
क‍िसान तक
  • Noida,
  • Jun 01, 2024,
  • Updated Jun 01, 2024, 4:19 PM IST

प्रत्येक वर्ष पहली जून यानी 1 जून को दुनिया भर में विश्व दुग्ध दिवस मनाया जाता है. अब आप पूछेंगे कि ये नियम किसने बनाया कि हर साल 1 जून को ‘विश्व दुग्ध दिवस’ मनाया जाएगा. दरअसल 23 साल पहले 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने इस दिवस की शुरुआत की थी. इसे मनाने का मुख्य उद्देश्य दूध में निहित पौष्टिक तत्वों को समझते हुए इसका सेवन करना था. वहीं बच्चे हो युवा या बुजुर्ग, हर किसी को अच्छी सेहत के लिए दूध पीना चाहिए क्योंकि दूध सेहत के लिए काफी फायदेमंद होता है. दूध के साथ-साथ इससे निर्मित दही, मक्खन, घी, पनीर, रबड़ी और अलग-अलग मिठाइयां इत्यादि भी हमारे सेहत के लिए लाभदायक होती हैं.

दूध में मौजूद तमाम पौष्टिक तत्वों को देखते हुए संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) ने 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाने का फैसला किया, ताकि दूध के तमाम महत्वों की जानकारी से आम जनजीवन को अवगत कराया जा सके.

कैसे हुई इसकी शुरुआत

संयुक्त राष्ट्र के खाद्य और कृषि संगठन (Food and Agriculture Organization) कि ओर से इस दिन की शुरुआत करने से पहले ही कई देश 1 जून या उसके आसपास के दिन को नेशनल मिल्क डे के रूप में मना रहे थे. इसलिए इस तारीख को वर्ल्ड मिल्क डे के रूप में चुना गया. हालांकि, वर्ल्ड मिल्क डे को अभी तक संयुक्त राष्ट्र द्वारा आधिकारिक अंतरराष्ट्रीय दिवस के रूप में मान्यता नहीं दी गई है.

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क्या है इसका इतिहास?

साल 2001 में संयुक्त राष्ट्र संघ के खाद्य और कृषि संगठन ने दूध के विभिन्न महत्वों को समझते हुए उपस्थित देशों के प्रतिनिधियों की सर्वसम्मति से 1 जून को विश्व दुग्ध दिवस मनाने की घोषणा की थी. इसका मुख्य उद्देश्य लोगों को दूध में पाए जाने वाले पौष्टिक तत्वों के प्रति जागरूक करना था, वहीं डेयरी क्षेत्र में स्थिरता और आर्थिक विकास को मजबूत बनाना था. इस दिवस की महत्व को देखते हुए प्रत्येक वर्ष दुग्ध दिवस मनाने वाले देशों की संख्या में वृद्धि हो रही है.

इसका क्या है महत्व?

विश्व दुग्ध दिवस का प्रमुख महत्व ये है कि लोगों के जीवन में दूध के मूल्य के बारे में जन जागरूकता बढ़ाना. यह जन्म के बाद बच्चे द्वारा खाया जाने वाला पहला भोजन है और यह जीवन भर खाया जाने वाला एकमात्र भोजन हो सकता है. दरअसल यह संसार में जन्म लेने वाले और पोषित होने वाले प्रत्येक जीव के लिए पहला भोजन है. मतलब यह हर किसी के लिए काफी जरूरी है. विश्व दुग्ध दिवस का प्रमुख लक्ष्य लोगों के जीवन में दूध के मूल्य के बारे में जागरूकता बढ़ाना है.

कौन थे श्वेत क्रांति के जनक

भारत दुग्ध उत्पादन के मामले में अग्रणी देशों में शामिल है. देश में दुग्ध उत्पादन में अग्रणी देशों में शामिल करने में डॉ. वर्गीज कुरियन का सबसे बड़ा योगदान है. उन्हें श्वेत क्रांति के जनक के रूप में जाना जाता है. इनके द्वारा स्थापित दुग्ध सहकारी समिति मॉडल आज पूरी दुनिया में फैल चुका है. बता दें कि डॉ वर्गीज कुरियन की जयंती (26 नवंबर ) को भारत में राष्ट्रीय दुग्ध दिवस के रूप में जाना जाता है.

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