खाना हमारे जीवन का एक अहम हिस्सा है. इसके बावजूद भी दुनिया में ऐसे लोग हैं जो खाना खाए बिना सोते हैं. खाने के बिना जीवन की कल्पना नहीं की जा सकती है पर लोगों को मजबूरी में भूखा रहना पड़ता है. आज भले ही दुनिया तकनीकी में काफी मॉर्डन हो गई हो, लेकिन अभी भी कई देशों में लोग दो वक्त की रोटी के लिए तरसते हैं. दुनिया भर के अधिकतर देश भुखमरी जैसी गंभीर समस्या से जूझ रहे हैं. ऐसी ही समस्या को देखते हुए और पूरी दुनिया में लोगों को खाने का महत्व, सुरक्षा और भुखमरी से जुड़े मुद्दों के प्रति जागरूक करने के लिए हर साल 16 अक्टूबर को विश्व खाद्य दिवस मनाया जाता है. ऐसे में आइए जानते हैं कि ये दिन क्यों मनाया जाता है और इसका इतिहास क्या है.
वर्ल्ड फूड डे को मनाए जाने का उद्देश्य लोगों को भुखमरी के प्रकोप के प्रति जागरूक करना है. एक तरफ जहां लोग भूखे सोते हैं. वहीं, दूसरी तरफ कुछ लोग खाने की बर्बादी करते हैं. विश्व खाद्य दिवस के जरिए लोगों को समझाने की कोशिश की जाती है कि खाने की बर्बादी नहीं होनी चाहिए. खाने को बचाना और लोगों में बांटना बहुत जरूरी है. वैश्विक स्तर पर ऐसे दिवस को मनाए जाने से लोगों में जागरूकता आती है.
ये भी पढ़ें:- पंजाब के किसानों से 185 लाख टन धान खरीद करेगी केंद्र सरकार, उपज स्टोरेज की पर्याप्त व्यवस्था का दावा
खाद्य और कृषि संगठन (FAO) ने साल 1945 में विश्व खाद्य दिवस की स्थापना की थी. संयुक्त राष्ट्र यानी यूएन की एजेंसी की ओर से इस दिन की शुरुआत साल 2014 में हुई. साल 2014 में इन दिन की शुरुआत के बाद से खाद्य सुरक्षा पर जोर दिया जा रहा है. कृषि के कई पहलुओं पर ध्यान केंद्रित किया जा रहा है. साथ ही लोगों को जागरूक किया जा रहा है कि वे खाने का महत्व समझाते हुए भुखमरी की चपेट में आए लोगों की मदद के लिए आगे आ सकें.
विश्व खाद्य दिवस को मनाने के लिए हर साल एक नई थीम रखी जाती है. इस साल विश्व खाद्य दिवस 2024 की थीम 'बेहतर जीवन और बेहतर भविष्य के लिए भोजन का अधिकार' रखी गई है. इस थीम को रखने का मुख्य उद्देश्य लोगों को सिर्फ भोजन, बेहतर और स्वस्थ भोजन क्यों जरूरी है, इसके प्रति जागरूक करना है.
भारत में सबसे खाया जाने वाला खाद्य पदार्थ यानी फूड चावल है. चावल भारत की प्रमुख खाद्य फसल है और इसे भारतीय खाद्य संस्कृति का मुख्य हिस्सा माना जाता है. चावल में कार्बोहाइड्रेट के अलावा कई पोषक तत्व होते हैं, जो सेहत के लिए भी फायदेमंद होते हैं. चावल, ग्लूटेन फ्री अनाज है. इसमें पाए जाने वाले कार्बोहाइड्रेट शरीर को ऊर्जा देते हैं. वहीं, चावल को पूर्वी और दक्षिणी भारत में सबसे ज्यादा खाया जाता है. चावल उत्पादन के मामले में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है.