मिट्टी के महत्व, इसकी क्वालिटी और पूरे इकोसिस्टम के बारे में जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल संयुक्त राष्ट्र खाद्य और कृषि संगठन (FAO) 5 दिसंबर को विश्व मृदा दिवस मनाता है. मिट्टी इंसानी जीवन में सबसे महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है, और यह आवश्यक पोषक तत्व देती है. भोजन के लिए यही मिट्टी हमारे लिए सबसे बड़ा रोल अदा करती है. इतना ही नहीं इंसानों से लेकर जानवरों तक घर भी यही मिट्टी है. एक लाइन में समझें तो कहेंगे न मिट्टी, न पौधे और न जानवर. यानी अगर मिट्टी न हो तो पौधे नहीं होंगे और न ही इंसान और न जानवर होंगे. यदि मिट्टी न हो तो पूरी फूड चेन और सभी जिंदा जीवों का अस्तित्व रुक जाएगा.
इस साल विश्व मृदा दिवस 2023 की थीम 'मृदा और जल: जीवन का एक स्रोत' है. जिनेवा पर्यावरण नेटवर्क के अनुसार, मिट्टी और पानी के बीच महत्वपूर्ण कड़ी हमारे ग्रह के अस्तित्व के लिए जरूरी है. ये दो सबसे जरूरी संसाधन 95 प्रतिशत से अधिक भोजन देते हैं. इकोसिस्टम हमारी मिट्टी और पानी से एक साथ जुड़ता है, जो पौधों के पोषण के लिए जरूरी है.
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2002 में, अंतर्राष्ट्रीय मृदा विज्ञान संघ (IUSS) ने मिट्टी को पहचानने के लिए एक वैश्विक दिवस की स्थापना का प्रस्ताव रखा. एफएओ ने इस पहल का समर्थन किया और वैश्विक मृदा भागीदारी के ढांचे के भीतर थाइलैंड की अगुवाई में आधिकारिक तौर पर विश्व मृदा दिवस की स्थापना में सहायता की. जून 2013 में, एफएओ सम्मेलन ने इस दिन को मंजूरी दी और 68वीं संयुक्त राष्ट्र महासभा में इसे औपचारिक रूप से अपनाने की वकालत की. संयुक्त राष्ट्र महासभा ने 5 दिसंबर 2014 को पहले विश्व मृदा दिवस की घोषणा की.
विश्व मृदा दिवस थाइलैंड के राजा एचएम राजा भूमिबोल अदुल्यादेज की जयंती के साथ मेल खाता है, जिन्होंने शुरुआत में इस घटना को मान्यता दी थी. इस वैश्विक प्रयास का उद्देश्य महत्वपूर्ण मृदा प्रबंधन चुनौतियों का समाधान करके मृदा जागरूकता में सुधार करना है. मिट्टी के पोषक तत्वों की हानि, मिट्टी की गिरावट का एक महत्वपूर्ण कारण, वैश्विक खाद्य सुरक्षा और स्थिरता के लिए सबसे महत्वपूर्ण चुनौतियों में से एक है.
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आज दुनिया के सामने जलवायु परिवर्तन की चुनौती सबसे बड़ी है जिसका सबसे बड़ी शिकार मिट्टी हुई है. मिट्टी की पोषकता धीरे-धीरे घट रही है जिससे फसलें मारी जा रही हैं. खाद और रासायनिक उर्वरकों का इस्तेमाल बढ़ने के बावजूद उपज नहीं बढ़ रही. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि रासायनिक खाद मिट्टी की जान ले रही है. यही वजह है कि पूरी दुनिया में अब जैविक खेती और जैविक खाद के इस्तेमाल पर जोर दिया जा रहा है ताकि हमारी मिट्टी उसी पुराने दौर में लौट सके जब कम से कम खाद-पानी में अमृत के सामान उपज होती थी. पूरी दुनिया इस चुनौती से निपटने पर फोकस कर रही है.